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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/३३९

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आल्हखण्ड। ३३६

ता ता थेई ता ता थेई थिरकनलागलहुरवाभाय ४९
ठप्पा ठुमरी भजन रेखता धुर्पद सरंगीत कल्यान॥
राग बिहगरो जयजयवन्ती तूरैं गजल पर्जपर तान ५०
कमर झुकावै भाव बतावै लाला देशराज का लाल॥
रूप देखिकै तिन योगिन का अबलनसबलखड़ीतहँमाल ५१
कोऊ अँगिया पहिरनि आवै जूरा कोऊ सँवारति बाल॥
कोऊ दुपट्टा गलसों ओढ़ै कोऊ चली मोरकी चाल ५२
कोऊ महाउर लिये हाथ में कोऊ चली छाँड़ि कै बाल॥
कोऊ मेंहदी तजिकै दौरी बौरी भई तहाँपर बाल ५३
ऐसी बंशी प्यारी बाजै राजै ऊदन ओठ बिशाल॥
गाजै छाजै ध्वनि उपराजै लाजैं देखि देखि मनवाल ५४
हेला मेला अलबेला मा ठेला ठेल गैल में भाय॥
कोऊ चमेला कोउ बेलाका बारन तेल लगावत जाय ५५
बड़ी भीर भय गलियारन में कहुॅ तिलडरा भूमि ना जाय॥
नचै बेंदुला का चढ़वैया आल्हा केर लहुरवा भाय ५६
दावति आवैं नृप ड्योढ़ी को चागें रूम शील अधिकाय॥
जायकै पहुँचे जब फाटकपर बाँदिन भीरभई अतिआय ५७
खबरि मुनाई रनिवासे में रानिन महलन लीनबुलाय॥
झूँठ लफोड़ा अस नाहीं थे जसकछुआजपरैं दिखलाय ५८
तबै जमाना कनु साँचा था जाँवा चला धाम को जाय॥
ब्राह्मण माधुन पर परतीती नीती यही सदाकी आय ५९
चलै अनीती तजि रीती जो ताको देय देय धिक्कार॥
नृप अभिनन्दन के महलन में योगी पहुँचिगये त्यहिवार ६०
कहाँते आयो औ कह जैहौ अपनो हाल देउ बतलाय॥