दुखी जो बाम्हन ह्याँपर होइहैं तौ सब क्षत्री धर्म नशाय॥
सुनिकै बातैं पृथुइराज की भा मन खुशी चँदेलाराय ४९
डोला मँगायो संयोगिनि को सो रण खेतन दीन घराय॥
देखिकै डोला संयोगिनि को बोला तुरत पिथौराराय ५०
लड़ो सिपाही दिल्लीवाले डोला तुस्त लेउ उठवाय॥
जीतिकै चलिहौ जोकनउजते चौगुन तलब देब घरजाय ५१
दै दै पानी रजपूतन को पिरथी सब को दीन जुझाय॥
फिरि मुकुन्द औ रतीभानको मुर्चा परो बरोबरि आय ५२
दोऊ बराबरि के क्षत्री हैं दोऊ समरधनी बलवान॥
खैंचि सिरोही ली मुकुन्द ने करिकै रामचन्द्र को ध्यान ५३
हनिकै मारा रतीभान को ठाकुर लीन्ह्यों वार बचाय॥
औ ललकारा फिरि मुकुन्दको अब तुम खबरदार ह्वैजाय ५४
बार हमारी सों बचिहौना तुमका लावा काल बुलाय॥
यह कहि मारा तलवारी को सो फिरिपरी ढालपरजाय ५५
बचिगा ठाकुर दिल्ली वाला ज्यहिका राखिलीन भगवान॥
सो फिरि बोला रतीभान सों करिकै मनै बड़ा अभिमान ५६
किह्यो लड़ाई है लरिकन सों कबहुँन परा ज्वानते काम॥
सँभरिकै बैठो अब घोड़ा पर तुमको पठैदेउँ यमधाम ५७
खैंचिकै मारा रतीभान को सोऊ लीन ढाल की वार॥
मुठिया रहिगै कर मुकुन्द के रणमा टूटि गिरी तलवार ५८
गद्दी कटिगै मखमल वाली औ फटिमई गैंड़की ढाल॥
रिसहा ह्वैगा रतीभान तहँ दोऊ नैन भये तब लाल ५६
ऐंचि सिरोही को कम्मर सों मारा रतीभान बलबान॥
गिरा तड़ाका शिर धरती माँ मरिगा तुरत मुकुन्दाज्वान ६०
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संयोगिनिस्वयम्बर।
