पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/३६०

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आल्हानिकासी।३५७ में इनिडारों तलवारी सों साँची सुनो चंदेलराय ३४ सुनिके वाते बघऊदन की जरि बरि गये रजापरिमाल । दशहरि पुरवाको खाली करु बेटा देशराज के लाल ३५ गऊ रक्त सम जल तू जानै भोजन गऊ माँस अनुमान॥ कर मेहरिया के संगति जो होवै बहिनी संग समान ३६ होउ पातकी तुम कलियुग में जो नहिं करो बचन परमान।। इतना मुनिकै आल्हा ऊदन तुरतै चले वहाँ ते ज्वान ३७ अपने अपने फिरि घोड़नपर दूनों भाय भये असवार । ॥ तुरतै रूपन को बुलवायो बोले उदयसिंह सरदार ३८ छा हजार जो हमरी फौजें तिनयाँ खबरि सुनावोजाय॥ करें तयारी सब नर नाहर अवहीं कूध देय करवाय ३६ इतना सुनिकै रुपना चलिभा सबका खबरि सुनाई जाय ॥ इक हरकारा को पठवायो औ देवा को लीन बुलाय ४० हाल बतायो आल्हा गकुर जो कछु कह्यो चंदेलेराय ॥ इतना सुनिक देवा बोला दादा साँच दे बतलाय ४१ हमहूं रहिवे ना मोहवे मा साथै चलें तुम्हारे भाय॥ सवन चिरैया ना घर छोड़े ना बनिजरावनिजकोजाय ४२ यह नहिं चहिये परिमालिकको ऐसे समय निकारभाय । लिखी गोसईयाँ की को मेटै साथै चलब बनाफरराय ४३ कौन देशमें अब चलि वसिहो. हमको साँच देउ बतलाय ॥ सुनिक बातें ये देवाकी बोले तुरत बनाफरराय ४४ बैरी हमरे सब राजा है जावें कौन देशकोभाय । तुमहूँ ऊदन सम्मत करिके ठीहा ठीक देउ ठहराय ४५ इतना सुनिक उदन बोले दादा साँच देय बतलाय ।।