बाजे ढंका अहतंका के हाहाकार शब्दगा छाय ५८
आगे आल्हा हैं पपिहापर ऊदन बेंदुलपर असवार॥
हंसामनि घोड़े के ऊपर इन्दल आल्हाकेर कुमार ५९
आय कै पहुँचे सब मोहबे में मल्हना महल पहूँचे जाय॥
बड़ी खुशाली सों महरानी आदरभावकीन अधिकाय ६०
खबरि पायकै सब रानी फिरि मल्हना महल पहूंचीं आय॥
रोवनलागीं सब रानी तहँ दारुण बिपतिकहीना जाय ६१
मल्हनाबोली फिरि आल्हा ते साँची सुनो बनाफरराय॥
तुम्हैं मुनासिब यह नाहीं है जो अब कूचदेउ करवाय ६२
घाटि न जाना हम ब्रह्मासों चारो भाय बनाफरराय॥
कहा न मानो अब काहूको बैठो धाम आपने जाय ६३
इतना सुनिकै ऊदन बोले दोऊ हाथ जोरि शिरनाय॥
अब नहिं रहिये हम मोहबे माँ माता साँचदीन बतलाय ६४
गऊरक्त सम जलको जानै भोजन गऊमाँस सममान॥
करै मेहरिया कै संगति जो होवै बहिनी संगसमान ६५
ऐसी बातैं महराजा की माता काहगई बौराय॥
जो हम बिलमैं अब मोहबेमाँ तौ सब क्षत्री धर्म नशाय ६६
तुम्हैं मुनासिब यह नाहीं है राखो हमैं फेरि जो माय॥
दर्शन ह्वैगे सब मातन के अब हमै कूच द्दहैं करवाय ६७
इतना कहिकै ऊदन ठाकुर डोला तुरत लीन मँगवाय॥
औ ललकारा फिरि माता का अब तुम कूच देउ करवाय ६८
सुनि सुनि बातैं उदयसिंह की मल्हना बार बार पछिताय॥
तुरतै धावन को बुलवायो सिरसागढ़ै दीन पठवाय ६९
लागि कचहरी मलखाने कै धावत वहाँ पहूँचा जाय॥
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आल्हानिकासी। ३५९
