पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/३६२

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आरहानिकासी। ३५४ पाजे का अहतंका के हाहाकार शब्दगा बाय ५८ भागे आल्हा हैं पपिहापर ऊदन बेदुलपर असवार ।। हंसामनि घोड़े के ऊपर इन्दल आल्हाकेर कुमार ५९ प्राय के पहुँचे सब मोहने में मल्हना महल पहूँचे जाय ।। बड़ी खुशाली सों महरानी आदरभावकीन अधिकाय ६० खबरि पायकै सब रानी फिरि मल्हना महल पहूंचीं आय॥ रोवनलागी सब रानी तहँ दारुण विपतिकहीना जाय६१ मल्हनाबोली फिरि आल्हा ते साँची सुनो बनाफरराय ।। तुम्हें मुनासिब यह नाहीं है जो अब कूचदेउ करवाय ६२ घाटि न जाना हम ब्रह्मासों चारो भाय बनाफरराय ।। कहा न मानो अब काहूको बैठो धाम आपने जाय ६३ इतना सुनिकै ऊदन बोले दोऊ हाथ जोरि शिरनाय ।। अब नहिं रहिये हम मोहबे माँ माता साँचदीन बतलाय ६४ गऊरक्त सम जलको जाने भोजन गऊमाँस सममान ।। करें मेहरिया के संगति जो होवै बहिनी संगसमान ६५ ऐसी बातें महराजा की माता काहगई बौराय ।। जो हम विलमें अब मोहवेमाँ तो सब क्षत्री धर्म नशाय १६ तुम्हें मुनासिब यह नाहीं है राखो हमैं फेरि जो माय ॥ दर्शन हँगे सब मातन के अब हम कूच छह करवाय६७ इतना कहिके ऊदन ठाकुर डोला तुरत लीन मँगवाय ।। औललकारा फिरि माता का अब तुम कूच देउ करवाय ६८ सुनि सुनि वातै उदयसिंह की मल्हना वार वार पछिताय ।। तुरतै धावन को बुलवायो सिरसागर्दै दीन पटवाय ६६ लागि कचहरी मलखाने के धावत वहाँ पहूँचा जाय।