पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/३६७

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माल्हखण्ड । ३६६ मालिक ललिते के तवलों तुम यशसों रहो सदा भरपूर १४० माय नवावों पितु अपनेको ह्याँ ते करों तरंग को अन्त ।। राम रमा मिलि दर्शन देवो इच्छायही मोरिभगवन्त १४१ हुने श्रीलखनऊनिवासि (सीआईई) मुंशीनवलकिशोरात्मजवाबूभयान नारायणगीकी आज्ञानुसार उन्नामप्रदेशान्तर्गत पड़रीकलांनिवासि रिभवंशोद्भवबुधकपाशङ्करगनु पं०ललितामसादकृत आला फन्नौजवासवर्णनोनामप्रथमस्तरंगः ॥१॥ आल्हा निकासी सम्पूर्ण ॥ इति॥ CIENDS