पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/३६८

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अथ पाल्हखण्ड ॥ लाखनिका विवाह अथवा बूंदी की लड़ाई । सवैया॥ फूलन काखें हमदन के दशस्यन्दन के सुत को यश गावें। तना सुनिकै ऊ रघुनन्दन बन्दन के अतिही सुखपावें ।। श्रा आयो घास सदा प्रभुकी करणी बरणी नहिं जावें। क्षेम संदला नप करियो ललिते पदपङ्कज नित्त मनाये। सुमिरन । फूलमती कनउज की देवी जिनयशप्रकटआजयहिडाला। करें मनोरथ पूरण सबके घ्यावें ज्वान वृद्ध चहुबाल ? हैं महरानी सब सुखदानी रक्षाकरें विकट कलिकाल ॥ र अवलम्बा तिनअम्बाका लाखनि ब्याह वखानों झल २ सहाई अब माई तुम जाते चलानाउँ भवपार ॥ . बूडै भवसागर में माता तुम्ही निवाहन झर ३ बरलगायो जस ऊदन का तैसे पारकरो तैसे पारकरो यरिवार ।। माता भ्राता अरु ताता ये स्वास्थ मित्र सबै संसार