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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/३७९

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आल्हखण्ड। ३७८

कहि समुझावातबमालिनिको फौजन तुरतदीन पठवाय ११६
नाइनि बारिनि तेलि तँबोलिनि मालिनिधोबिनि के समुदाय॥
साँची दूती रस ग्रन्थन में भाषा चतुरन खूब बनाय ११७
सोई मालिनि चलि बूँदी ते फौजन अटी तड़ाका धाय॥
पता लगायो तहँ आल्हा को चकरन तम्बूदीन बताय ११८
बेला चमेलिन के हरवा को मालिनि तुरत दीन पहिराय॥
कह्यो सँदेशा तहँ ऊदन का मालिनि बारबार सब गाय ११९
जो सुधि पावैं बूँदी वाले हमरो पेट देयँ फरवाय॥
भुसा भरावैं ते पेटेमा तुमकासॉच दीन बतलाय १२०
इतना सुनिकै आल्हा ठाकुर मुहरैं सात दीन पकराय॥
मालिनि चलिभै तब फौजनते बेटी पास पहूँची आय १२१
खबरिसुनाई सब जयचँद को आल्हा बार बार समुझाय॥
तब महराजा कनउज वाला डंका तुरतदीन बजवाय १२२
हथी चढ़ैया हाथिन चढ़िगे बाँके घोड़न भे असवार॥
झीलमबखतर पहिरि सिपाहिन हाथम लई ढाल तलवार १२३
तोपैं चढ़ि गइँ सब चर्खन मा गोला तुरत दीन छुटवाय॥
चढ़े जवाहिर औ मोती दोउ तोपनआगिदीनलगवाय १२४
तोपैं छूटीं दुहुँ तरफा ते धुवना रहा सरग में छाय॥
बड़ी दुर्दशा भै तोपन मा तबफिरिमारुवन्द ह्वैजाय १२५
गोली ओला सम वर्षत भइँ सननन सन्न सन्न सन्नाय॥
दुनो गोल आगे का बढ़िगे सम्मुख भये समरमें आय १२६
भाला बलछी तलवारिन की लागी होन भड़ाभड़ मार॥
मारे मारे तलवारिन के नदिया बही रक्तकी धार १२७
ना मुहँ फेरैं बूँदी वाले ना ई कनउज के सरदार॥