पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/३९८

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गाँजरकीलड़ाई । ३६७ कूच के डका बाजन लाग्यो घूमनलाग्यो लालनिशान ॥ दाढ़ी करखा बोलन लागे बन्दी कीन समरपद गान ५८ मारु मारु करि मौहरि बाजी बाजी हाव हाव करनाल । हिरसिंह बिरसिंह दोऊभाई पहुंचे समरभूमि ततकाल ५६ पहिले मारुइ भइँ तोपन की गोलंदाज भये हुशियार ।। चम्ब के गोला छूटन लागे सीताराम लगैहैं पार ६० जौने हाथी के गोला लागै मानो चोर सेंधि कैजाय ।। जौने ऊंट के गोला लागै सारेक कूल जुदा हइजाय ६१ जौने बछेड़ा के गोला लागै मानों मगर कुल्याँचै खाय ॥ गोला लागै ज्यहि क्षत्री के साथै उड़ा चील्ह असजाय६२ जौने स्थमाँ गोला लागें ताके टूक टूक द्वैजायें ।। जौने बैलके गोला लागें मानों गिरह कबूतर खायँ ६३ जौने अंगमा गोला लागें तस्वर पात अइस गिरिजाय ।। चुकीं बरूदै जब तोपन की तब फिरि मारु बन्दलैजाय ६४ उठी बँखें बादलपुर की जो नब्बे की एक विकाय ॥ मधाकी बूंदन गोली वर क्षत्रिन दीन्हों झरी लगाय ६५ सन् सन् सन् सन् गोली छूटें क्षत्रिन लगें करेजे जाय ॥ पार निकरिके सो छातिन के देहीम करें अनेकन घाय ६६ गिरे कगारा जस नदिया माँ तैसे गिरें ऊँट गज धाय ।। गिरे मुहमरा कितनेउँ क्षत्री कितनेउँ भाग पीठिदिखाय ६७ दूनों दल आगे को बढ़िगे परिगो समर बरोबरि आय ।। कोगति बरणै त्यहि समया के हमरे बूत कही ना जाय ६८ इंडि लपेटा हाथी भिडिगे अंकुश भिड़े महौतन करि ।। होदा होदा यकमिल हइगे मारे एक एक को हेरि ६६