कूच के डङ्का बाजन लाग्यो घूमनलाग्यो लालनिशान॥
ढाढ़ी करखा बोलन लागे बन्दी कीन समरपद गान ५८
मारु मारु करि मौहरि बाजीं बाजीं हाव हाव करनाल॥
हिरसिंह बिरसिंह दोऊभाई पहुंचे समरभूमि ततकाल ५९
पहिले मारुइ भइँ तोपन की गोलंदाज भये हुशियार॥
बम्ब के गोला छूटन लागे सीताराम लगैहैं पार ६०
जौने हाथी के गोला लागै मानो चोर सेंधि कैजाय॥
जौने ऊंट के गोला लागै सारेक कूल जुदा ह्वइजाय ६१
जौने बछेड़ा के गोला लागै मानों मगर कुल्याँचै खाय॥
गोला लागै ज्यहि क्षत्री के साथै उड़ा चील्ह असजाय ६२
जौने रथमाँ गोला लागैं ताके टूक टूक ह्वैजायँ॥
जौने बैलके गोला लागैं मानों गिरह कबूतर खायँ ६३
जौने अँगमाॅ गोला लागैं तरवर पात अइस गिरिजाय॥
चुकीं बरूदैं जब तोपन की तब फिरि मारु बन्दह्वैजाय ६४
उठीं बँदखैं बादलपुर की जो नब्बे की एक बिकाय॥
मधाकी बूंदन गोली बरषैं क्षत्रिन दीन्हों झरी लगाय ६५
सन् सन् सन् सन् गोली छूटैं क्षत्रिन लगैं करेजे जाय॥
पार निकरिकै सो छातिन के देहीम करैं अनेकन घाय ६६
गिरैं कगारा जस नदिया माँ तैसे गिरैं ऊँट गज धाय॥
गिरै मुहमरा कितनेउँ क्षत्री कितनेउँ भाग पीठिदिखाय ६७
दूनों दल आगे को बढ़िगे परिगो समर बरोबरि आय॥
को गति बरणै त्यहि समया कै हमरे बूत कही ना जाय ६८
सूंड़ि लपेटा हाथी भिड़िगे अंकुश भिड़े महौतन करि॥
हौदा हौदा यकमिल ह्वैइगे मारैं एक एक को हेरि ६९
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गाँजरकीलड़ाई। ३९७
