हाल पायकै सिरसागढ़का क्रोधित भयो पिथौराराय ९६
बाजे डंका इत पिरथी के वैसी सिरसा के महराज॥
सूरज बंशी औ यदुबंशी तोमर वंश केर शिरताज ९७
ये सब सजिसजि सिरसा गढ़में अपनी लीन ढाल तलवार॥
नीले काले सब्जे सुर्खे सब रँग घोड़ भये तय्यार ९८
अंगद पंगद मकुना भौंरा सजिगे श्वेतवरण गजराज॥
हाड़ा बूंदी गहिलवारके तिनपर बैठि शूर शिरताज ९९
सुमिरन करिकै शिवशंकरका मातै शीश नवावा जाय॥
पीठि ठोंकि कै बिरमा माता आशिर्बाद दीन हर्षाय १००
चलिभा मलखे माताढिग ते रानी महल पहूंचा आय॥
दीन दिलासा गजमोतिनिका ठाकुर चला खूब समुझाय १०१
बेटी बोली गजराजा की स्वामिन चेरी बोल बनाव॥
पावँ पछारी का डार्योना नाहीं हँसी देश औ गाँव १०२
होय हँसौवा ज्यहि दुनिया मा त्यहिका मरण नीकही आय॥
सुनी किहानी हम बिप्रन ते स्वामी साँचदीनवतलाय १०३
इतना सुनिकै मलखे चुप्पै फौजन फेरि पहूंचे आय॥
बाजे डंका अहतंका के मलखे कूच दीन करवाय १०४
सवैया॥
चर्खनमें सब तोप चढ़ाय औ फौज अपारलिये मलखाना।
बाजत डंक निशंक तहाँ औ यथा घन सावनको घहराना॥
बिज्जु छटासों कटा करिबे कहँ चमकत खड्ग तहाँ मर्दाना।
मौहर बाजत हावकिये ललिते यह भाव न जात बखाना १०५



चढ़ा कबुतरी पर मलखाने मुर्चा सबै कीन तैयार॥