पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/४७२

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आल्हाकामनावन । ४७१ कहाँ बनाफर पाल्हाठाकुर हमका पता देउ बतलाय॥ सुनिक बातें जगनायककी बोला एक मसखरा भाय ८३ आल्हा ऊदन मोहवे वाले मरिगे समर भूमि मैदान ।। ॥ काह बतावें परदेशी से तिनकीकुशलनहींहज्यान८४ पाल्हा तेली इक कनउज मा दूसर नगर आल्ह कुतवाल ॥ सुनी मसखरा की बातें जब जगनिकद्वैगाहाल बिहाल८५ तबलौं ढाढ़ी इक बोलत भा ठाकुर घोड़े के असवार ॥ आल्हा ऊदन मोहबेवाले नीके दऊ भाय सरदार ८६ अवहीं आवत हम ड्योढ़ीते ठाकुर घोड़े के असवार ।। खेड़ा धौरहर बहु ऊदन का झलकैकलश सूबरणक्यार८७ मुनिक बातें त्यहि ढाढ़ी की जगनिक दीन दुकान लुटाय ।। हाट बाट में हल्ला बैगा पहुँचे राजसभा वहु जाय ८८ मुनिकै बातें हलवाइन की लाखनि राना लीन बुलाय॥ पकरिकै लावो त्यहि ठाकुर को हमरी नजरि गुजारोआय ८९ इतना सुनिकै लाखनि राना भूरी उपर भये असवार । मीरासय्यद को सँग लेके आये बेगि हाट त्यहिबार ६. सय्यद दीख्यो जगनायक को तव लाखनिते कह्यो हवाल ॥ यहु है भैनो महराजा को ज्यहिकानाम रजापरिमाल ६१ इतना सुनिकै लाखनिराना अपनो हाथी लीन घुमाय ।। मीरासय्यद जगनायक ते भेटे तुरत तहाँ पर आय ६२ जहाँ धौरहर बघऊदन का दोऊ तहाँ गये असवार । दारे ठाढ़े उदयसिंह थे भेंटे तुरत भाय सरदार ६३ हाथ पकारिक जगनायक को महलन तुरत पहूँचे जाय । आल्हा दीख्यो जगनायक को अपने पास लीन बैठाय ६१