पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/४८४

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आल्हाकामनावन।४८३ २१ इतना कहिके आल्हा ऊदन लाखनि साथ चले शिस्नाय॥ बाजे डंका अहतंका के हाहाकार शब्द गे छाय २२३ चारों राजा गाँजर वाले बारहु कुँवर बनौधा केर । लला तमोली धनुवाँ तेली इनते कहा चंदेले टेर २२४ लाखनि तुमका हम सौंपत हैं रक्षा कियो सबै सरदार ॥ वंश लकड़िया यह इकली है इतनालीन्ह्यो खूब विचार २२५ इतना कहिके जयचंद राजा पंडित लीन्ह्यो तुरत बुलाय॥ प्रथम पुजायो श्रीगणेश को पाछेतिलकदियोकरवाय२२६ गजाननहि अरु लम्बोदर को तीसर गणाध्यक्ष को ध्याय ।। सुमिरि भवानीसुत गणेशको लेशकलेश दीनविसरांय २२७ रानी तिलका पूजन कीन्यो भूरी हथिनी तुरत मँगाय ।। थाती सौंप्यो लखराना को हथिनीसम्मुख बैन सुनाय२२८ फिरि कर पकरयो लखरानाका ऊदन हाथ दीन पकराय ।। मोहिं अभागिनि के बालककी रक्षा कियो बनाफरराय २२९ सुनिके वात महरानी की दोऊ हाथ जोरि शिरनाय ॥ जहाँ पसीना लखराना का तहँ हम मूड़ देय कटवाय २३० घाटि न जाने हम भाई ते माता साँच देय बतलाय ॥ फिकिरिन राख्यो लखरानाकी इनको बार न बाँको जाय २३१ इतना कहिके महरानी ते ऊदन फेरि कहा ललकार। करो तयारी अब मोहबे की सवियाँ शूरवीर सरदार २३२ हुकुम पायकै बघऊदन का सबहिन बाँधिलीन हथियार ॥ हथी चढैया हाथिन चदिगे बाँके घोड़न भे असवार २३३ पायलागिके दोउ तिलका के भूरी चढ़ा कनौजीराय ॥ बजे नगारा त्यहि समया मा हाहाकार शब्द.गा छाय २३४