जहँना हाथी गंगाधर का तहँ पर गये कनौजीराय ।।
कहि समुझावा भल मामा का कोड़ा अवै देउ मँगवाय २७१
नहीं बनाफर उदयसिंह जी कुड़हरि गर्द देयँ करवाय ॥
कौन दुसरिहा है आल्हा का सरवर करै समरमें आय २७२
त्यहिते तुमका समुझाइत है मामा कूच देउ करवाय ।।
इतना सुनिकै गंगा जरिगे बोले सुनो कनौजीराय २७३
काह हकीकति है आल्हा कै हमते कोड़ा लेयँ मँगाय ।।
एक वनाफर कै गिन्ती ना लाखनचढ़ै बनाफरधाय २७४
हमते कोड़ा को पैहैं ना भैने साँच दीन बतलाय ।।
इतना सुनिकै चले कनौजी तम्बुन फेरि पहुँचे आय २७५
बत्ती दैकै दुहुँ तरफा ते तोपन दीन्हीं रारि मचाय ।।
अररर अररर गोला छूटे हाहाकारशब्दगा छाय २७६
गोला लागै ज्यहि हाथी के मानो गिरा धौरहर आय ।।
जउने ऊंट के गोला लागै तुरतै कूल जुदा ह्वैजायँ २७७
गोला लागै ज्यहि क्षत्री के साथै उड़ा चील्ह अस जाय ।।
जउने स्थमा गोला लागै ताके टूक टूक लैजायँ २७८
गोला लागै ज्यहि घोड़े के मानो मगर कुल्याचे खायँ ।।
अँधाधुंध भा दूनों दलमा धुवनारहा सरगमें छाय २७६
चुकी वरूदैं जब तोपन की तब फिरि मारु बन्द ह्वैजाय ।।
दूनों दल आगे को बढ़िगे रहिगा एकखेतरणआय २८०
कहुँकहुँ भाला कहुँकहुँ बलछी कहुँ कहुँ कड़ाबीनकी मार ॥
गोली ओला सम कहुँ बरषैं कोताखानी चलै कटार २८१
मारे मारे तलवारिन के नदिया बही रक्तकी धार ।।
मुण्डन केरे मुड़चौरा भे औरुण्डनके लगे पहार२८२
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आल्हाकामनावना १८७
