पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/४८९

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आल्हतवटा ४८ ना मुँह फेरै कुड़हरि वाले ना ई मोहवे के सरदार ॥ कउँधालपकनिबिजुलीचमकनि रणमा चलै खूब तलवार २८३ भागि सिपाही कुड़हरि वाले अपने डारि डारि हथियार ।। गंगा मकुर के मुर्चा मा आवा उदयसिंह सरदार २८४ ऍड़ लगावा तब बेदुल के हाथी उपर पहूँचा जाय ॥ भाला मारा बघऊदन ने गंगा लैगा वार वचाय २८५ तबलों आये आल्हा ठाकुर हाथी भिड़ा बरोबरि आय ।। देक साँकरि पचशब्दा को तुरतै कैदलीन करवाय १८६ लैक फौजै ऊदन ठाकुर कुड़हरिशहर लीन लुटवाय ।। काछी कुरमी तेली भागे कोरीभागि थानविसराय२८७ दर्जी भुर्जी सव भागे तहँ भागे बड़े बड़े महराज ॥ कौन बखानै त्यहि समयाकै रहिगैनहींक्यहूकछलाज २८८ साँच वातकरि जगनायक के दीन्यों लूट बन्दकरवाय ।। लैकै कोड़ा बौना चलिभा आल्हानजरिगुजाराजाय२८६ कोड़ा दीन्ह्यो जगनायक को आल्हा तुर्त तहाँ बुलवाय ।। कैद छुड़ाय दई गंगा की आदरकियो कनौजीराय २६० लेकै फौजे गंगा ठाकुर साथै कूच दीन करवाय ॥ चलिभालश्कर कनवजियाका यमुना उपर पहूँचा जाय २६१ मज्जन करि के श्रीयमुनाजल पाछे शम्भुचरण धरि ध्यान । संध्या तर्पण विधिवत करिके दीन्ह्योदिजनतहाँपरदान २६२ कूच करायो श्रीयमुना ते कलपी पास पहूँचे जाय। लेकै फौजै लाखनिराना कलपीशहरलीनलुटवाय २६३ ऊदन वोले तव लाखनि ते यह का कीन कनौजीराय ।। बदले कुड़हरिके लुटवावा मानो साँच बनाफरराय २६१