पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५०२

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€ चई बहादुर नदीबेतवाकासमर । ५०१ कालनेमि औ परसू, सिंहा, ताहर साथ सबै सरदार॥ भूरी हथिनी सों लखराना गई हाँक कीन ललकार ८२ कौन बहादुर है दिल्ली का रोंकै बाट हमारी आय ।। इतना सुनिक ताहर जरिगे बोले सुनो कनौजीराय, ८३ तुम्हरे घरते संयोगिनि को दिल्ली वाले लये लिवाय ।। पृथीराज हैं गाँस्यनिनगरमोहोबाआय८४ काह हकीकति कनवजिया के जो अब धेरै अगारी पाएँ । हुकुम पिथौरा का नाही है ताते कूच देउ करवाय ८५ इतना सुनिकै लाखनि बोले ताहर काह गये बौराय ॥ लेके विटिया चेरी घरकै रानी कीन पिथौराराय ८६ एकतो बदला है चेरी का दूसर साथ बनाफर क्यार॥ कसरि न राखे दिल्ली वाले गकुर घोड़े के असवार ८७ इतना कहिकै लाखनि राना मारन लाग ढूँदि सरदार॥ भूरी हथिनी का चढ़वैया नाती बेनचक्कवै क्यार ८८ जैसे भेड़िन भेड़हा पैठे जैसे अहिर बिडारै गाय ।। तेसे पैठ्यो लाखनि राना कोऊ शूर नहीं समुहाय ८६ कायर भागे दुहुँ तरफा ते सायर खूब करें तलवार ॥ यहु दलगंजन का चवैया ताहर दिल्ली राजकुमार ६० बहुदल मारै रजपूतन का नंदिया वही रक्तकी धार ॥ खरी मछली के समसोहें दालें कछुवाके अनुहार ६१ च लहारों जो मनइन की तिनपर चढ़े गृद्ध विकराल ।। बार सिवारा समसोहत हैं चहुँदिशिसोहेश्वानशृगाल९२ मज्जन करें भूत वैताल ।। कागन भई टॉट सब लाल ६३ है अपारा शोपिन धारा को गति बरणे त्यहि समया के