धूप दीप अरु अक्षत चन्दन पूजन हेतु लीन मँगवाय ॥
नदी बेतवा का जल लैकै धोये चरण बनाफरराय १३०
विधिवत पूजनकरि माताका बोला फेरि लहुरवाभाय ।।
हुकुम जो पावैं महतारी का सो करिलावै शीशनवाय १३१
सुनिकै बातैं ये ऊदन की द्यावलि बोली आँसुबहाय ।।
परे कनौजी हैं सँकरे मा रूपन खबरि जनाई आय १३२
जो कछु होई लखराना का देई दोष सबै संसार ।।
त्यहिते जावो तुम नदियाको वेटा उदयसिंह सरदार १३३
मैं समुझावा भल आल्हा का तिन नहिं माना कहा हमार।
गाँजर उसरी थी ऊदन की नदियाकनउजका सरदार१३४
तुम्है मुनासिब अब याही है जावो अवशि पूत यहिबार ।।
सुनिक बातैं ये माता की बेंदुल उपरभयो असवार १३५
गयो तड़ाका त्यहि तम्बूमा ज्यहिमा रहैं बनाफरराय ।।
खबरि सुनाई सब आल्हा को दोऊहाथजोरि शिरनाय १३६
हुकुम जो पावै हम दादाको नदिया जायँ तड़ाका धाय ।।
जयचँद तिलका ते बाचा दै लायन रहैं कनौजीराय १३७
जियत वनाफर उदयसिंह के इनको बार न बाँकाजाय ।
करैं प्रतिज्ञा जो साँची ना तौ सबजावै धर्म नशाय १३८
सुनिकै बातैं उदयसिंह की आल्हा चुप्प साधि रहिजाय।।
चलिभे ऊदन तब तम्बू ते दोऊहाथ जोरि शिरनाय १३६
लौटिकावा फिरि लश्करमा डंका तुरत दीन बजवाय॥
साजि सिपाही सब जल्दी सों ऊदन कूचदीन करवाय १४०
नदीबेतवा को उतरत भा यहु रणवाघु बनाफरराय ।।
मीरासय्यद धनुवाँ तेली दोऊ परे तहाँ दिखलाय १४१
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नदीबेतवाकासमर। ५०५
