पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५०६

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नदीवेतवाकासमर। ५०५ १३ धूप दीप अरु अक्षत चन्दन पूजन हेतु लीन मँगवाय ॥ नदी बेतवा का जल लेके धोये चरण बनाफरराय १३० विधिवत पूजनकरि माताका बोला फेरि लहुरवाभाय ।। हुकुम जो पार्दै महतारी का सो करिला शीशनवाय १३१ सुनिक बातें ये ऊदन की द्यावलि बोली आँसुबहाय ।। परे कनौजी हैं संकरे मा रूपन खबरि जनाई आय १३२ जो कछु होई लखराना का देई दोष सबै संसार ।। त्यहिते जावो तुम नदियाको वेटा उदयसिंह सरदार १३३ में समुझावा भल आल्हा का तिन नहिं माना कहा हमार। गाँजर उसरी थी ऊदन की नदियाकनउजका सरदार१३४ तुम्है मुनासिब अब याही है जावो अवशि पूत यहिबार ।। सुनिक बातें ये माता की बेदुल उपरभयो असवार १३५ गयो तड़ाका त्यहि तम्बूमा ज्यहिमा हैं बनाफरराय ।। खबार सुनाई सव आल्हा को दोऊहाथजोरि शिरनाय १३६ हुकुम जो पावै हम दादाको नदिया जायँ तड़ाका धाय ।। जयचंद तिलका ते बाचा दै लायन रहै कनौजीराय १३७ जियत वनाफर उदयसिंह के इनको बार न वाँकाजाय । करें प्रतिज्ञा जो साँची ना तो सबजावै धर्म नशाय १३८ सुनिक वात उदयसिंह की पाल्हा चुप्प साधि रहिजाय।। चलिभे ऊदन तब तम्बू ते दोऊहाथ जोरि शिस्नाय१३६ डंका तुरत दीन वजवाय॥ साजि सिपाही सब जल्दी सों ऊदन कूचदीन करवाय १४० यह रणवाघु बनाफरराय ।। मीरासय्यद धनुवाँ तेली दोऊ परे तहाँ दिखलाय १४१ लौटिकावा फिरि लश्करमा नदीवेतवा को उतरत भा