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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५२३

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आल्हखण्ड । ५२२

जो सुनि पै हैं आल्हा ठाकुर हमते रारि मचै है आय ४७
सुनिकै बातैं गजराजा की सुभिया कूच दीन करवाय ।।
झारखण्ड के फिरि जंगल मा डेराजाय दीन गड़वाय ४८
चौकी पहरा करि जादू के निर्भय बसी तहाँ मुखपाय ॥
सुनवाँ सोचै ह्याँ महलन मा आये नहीं लहुरवा भाय ४९
पता लगावों मैं ऊदन का जावों देश देश को धाय ।।
यहै सोचिकै रानी सुनवाँ चिल्हिया बनी सरगमड़राय ५०
पहिले ढूँढ़ा त्यहि बिठूर का पाछे गयी कामरू धाय ।।
सिलहट बिजहट मौरँग झुन्ना दिल्ली शहर लखा फिरिजाय ५१
पता न पायो जब ऊदन का पहुँची झारखण्ड में आय ।।
तहॉ पै डेराहैं बेड़िनि के सुनवाँ बैठि बरगदे जाय ५२
पेड़ बरगदा के नीचे मा सुभिया पलँग लीनविछवाय ।।
लैकै पिंजरा फिरि सुवना का मानुष तुरतै दीन बनाय ५३
खेलै चौपरि सॅग ऊदन के सुभिया बोली बचन सुनाय॥
ब्याह हमारे सँगमा करिये मानो कही बनाफरराय ५४
भजिये अल्ला बिसमिल्ला को ऊदन रटौ खुदाय खुदाय ॥
तब सुख पैहौ तुम देहीं का नाहीं खाल लेउँ खिचवाय ५५
खुदा खैरियत तुम्हरी करि हैं बिसमिल भलाकरी सबकाल ॥
बाबा आदम संकट टारी मेटी अली भली जंजाल ५६
बातैं सुनिकै ये वेड़िनि की बोला देशराज का लाल ।
खुदा खुदाई चहु दिखलावैं बिसमिलआयजायततकाल५७
ऊदन ब्याहै नहिं बेड़िनि को कबहूँ राम नाम विसराय ।।
देश आरिया के क्षत्री हम कैसे मुसलमान ह्वैजाय ५८
जब छुइजावैं मुसलमान को तबहीं तुरत करैं असनान ।