पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५४६

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बेलाकेगोनेकादितीययुद्ध । ५४५ होने इकल्ली ज्यहि पल्ली मा बेटा बच्छराज को बाल ९ करत दुपल्ला सो छाती के घाती समर शूर मलखान ।। तुम्हें मुनासिब अब याही है आवो उदयसिंह चढिज्वान१० प्रथम मिलावो मोहिं प्रीतमको बदला लेउ बन्धुको आन । जो नहिं अइही उदयसिंह तुम मरि हैं गदा वीर चौहान ११ शोक समानी अलसानी सो मानी प्रथम यौवना नारि ।। पूरी पाती लय छाती में थाती यौवन के उनहारि १२ यौवन केरे मदमाती सो घाती समय दीख त्यहिबार ।। फरकत यौवन भुज दक्षिण है करकत हृदय करेजाफार १३ धड़कनअनवटविछियाअँगुरिन कड़कत चोलीयन्द निहार ।। तड़कत तनियाँ चौतनियाँसव रनियाँ दुखितभई त्यहिवार १४ दुख मदमाती इस विसराती आती यार घांघरा धार॥ फिर सतरांती पछताती मन घाती समय दीखत्यहिवार १५ थर थहराती लहराती मन आती मन्द मन्द त्यहिबार ।। खखि कर पाती दुखघातीको ढाहत नैनन नीर अपार १६ थाहत आई द्वारपाल ढिग पाती दुःख करेजा फार ।। सो दै दीन्ही द्वारपाल को मुदा दीन्हे एक हजार १७ मुदा रुदा के तुल्या जो मुल्या विका सबै संसार ।। राम न लीन्यो इक मुद्रा को त्यागे लंक अवध सरदार १८ अनुचित वानी हम ठानी है राम कहा जौन सरदार ॥ हरता दुःख जगत भरतार १६ तिनसरदारकहब जगअनुचित नहिं यह देव वाणि निरधार ।। आल्हा जीतिलीन संसार २० परम पवित्र चरित्र हैं जिनके तिनके नाम लेय संसार ।। तीन लोक के आनँद करता वेद शास्त्रन के भागत खन