पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५६१

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भाल्हखण्ड। ५६० तन धन अर्षे समरभूमि मा पावै सदा जगत में मान १८५ सज्जन मानै के भूखे हैं दुर्जन सह सदा अपमान ।। मान न पावै नरदेही गा जीवतजानोश्वान निदान९८७ मान के भूखे लाखनिराना ना कठिन तहाँ संग्राम ।। जौनीदिशि को लाखनिजावें तादिशिहोतजातहंगाम १८८ लालनिराना के मारुन मा आरी भये सिपाही ज्वान। कायर भागे समरभूमि ते शरन कीनघोरघमसान ९८६ यहु महराजा कनउजवाला मारत चला अगारी जाय। आदिभयङ्कर जहँ हाथी पर सोहत वैठि पिथौराराय १६७ तहँ कनवजिया कनउजबाला आला अटा तड़ाका जाय ।। आदिभयङ्कर ते ललकारा यहु महराज पिथोराराय १६१ लाखनि पगिया ना अटकीहै रण मा प्राण गँवावो आय ॥ प्यारे बेटा तुम ताहर सम मानो कही कनौजीराय १६२ निमक चंदेले का इन खावा दूनों भाय बनाफरराय ।। ये मरिजा सँग. डोला के उनकेनमक अदालैजायँ १६३ तुम्हें मुनासिब यह नाहीं है अनहक प्राण गँवावो आय ।। बारह रानिन में इकलौता यहहमसुनाकनौजीराय १६४ त्यहिते तुमका समुझाइत है चुप्पै कूच जाउ करवाय ॥ इतना सुनिकै लाखनि बोले साँची सुनौ पिथौराराय १६५ तीनि महीना औ त्यारादिन ' ऊदन कठिन कीन तलवार ।। लैक पैसा सब गाँजर का पठवा कनउज के दरबार १६६ गंगा कीन्हीं हम ऊदन ते देवे साथ बनाफरराय।। हमें मुनासिब यह नाहीं है जोअवचजा करवाय १६७ करत्र प्रतिज्ञा अब हम पूरी लड़िवे खूब पिथौराराय ।।