तन धन अप्पैं समरभूमि मा पावै सदा जगत में मान १८६
सज्जन मानै के भूखे हैं दुर्जन सहैं सदा अपमान ।।
मान न पावै नरदेही गा जीवतजानोश्वान निदान १८७
मान के भूखे लाखनिराना ना कठिन तहाँ संग्राम ।।
जौनी दिशि को लाखनि जावैं ता दिशि होत जात हंगाम १८८
लाखनिराना के मारुन मा आरी भये सिपाही ज्वान ।।
कायर भागे समरभूमि ते शूरन कीन घोर घमसान ९८९
यहु महराजा कनउज वाला मारत चला अगारी जाय ।।
आदिभयङ्कर जहँ हाथी पर सोहत बैठि पिथौराराय १९०
तहँ कनवजिया कनउज वाला आला अटा तड़ाका जाय ।।
आदिभयङ्कर ते ललकारा यहु महराज पिथोराराय १९१
लाखनि पगिया ना अटकीहै रण मा प्राण गँवावो आय ॥
प्यारे बेटा तुम ताहर सम मानो कही कनौजीराय १९२
निमक चँदेले का इन खावा दूनों भाय बनाफरराय ।।
ये मरिजावै सँग डोला के उनके नमक अदा ह्वैजायँ १९३
तुम्हें मुनासिब यह नाहीं है अनहक प्राण गँवावो आय ।।
बारह रानिन में इकलौता यह हम सुना कनौजीराय १९४
त्यहिते तुमका समुझाइत है चुप्पै कूच जाउ करवाय ॥
इतना सुनिकै लाखनि बोले साँची सुनौ पिथौराराय १९५
तीनि महीना औ त्यारादिन ऊदन कठिन कीन तलवार ।।
लैक पैसा सब गाँजर का पठवा कनउज के दरबार १९६
गंगा कीन्हीं हम ऊदन ते देबे साथ बनाफरराय ।।
हमैं मुनासिब यह नाहीं है जो अब कूच जायँ करवाय १९७
करब प्रतिज्ञा अब हम पूरी लड़िवे खूब पिथौराराय ।।
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आल्हखण्ड। ५६०
