मुण्डन केरे मुड़चौरा भे औ रुण्डन के लगे पहार १७७
को गति बरणै वहि समया कै चहुँदिशि होय भडाभड़ मार ।।
बड़ा लड़ैया ताहर नाहर यहु दलगंजन पर असवार १७८
मारत मारत रजपूतन को बेला पास पहूँचा आय ॥
जानि चँदेला फिरि ललकारयो ठाकुर कूच जाउ करवाय १७९
ब्रह्मरूप तब बेला बोली नाहर साँचदेय बतलाय ।।
मोहिं झमेलाते मतलबना अधकर यहाँ देउ पहुँचाय १८०
मोहिं जियावा घर बेला ने याही हेतु दीन पठवाय ॥
भिक्षक ह्वैके समरभूमि में चाहैं आप लेयँ छुड़वाय १८१
ऐसे अधकर यहु छुटि है ना दुइमा एक बंश रहिजाय ॥
इतना सुनिकै ताहर नाहर बोले दोऊ भुजा उठाय १८२
सँभरिकै बैठे अब घोड़े पर ठाकुर खबरदार ह्वैजाय ।।
इतना कहिकै ताहर नाहर भालामारा तुरत चलाय १८३
वार बचाई तहँ भाला की बेला खैंचि लीन तलवार ॥
ऐंचि सिरोही बेला मारी ताहर लीन ढालपर वार १८४
यहु इकदन्ता को चढ़वैया चौंड़ा आयगयो त्यहिबार ।।
रूप देखिकै सो बेला का जान्यो सबै कपट ब्यवहार १८५
चुरिया खुलिगै इक बेला की सोऊ दृष्टिपरी त्यहिबार ।।
चौंड़ा बोला तब ताहर ते यहु नहिं मोहबे का सरदार १८६
बहिनि तुम्हारी यह बेला है तुमते साँच बतावै यार ।।
इतना सुनिकै ताहर ठाकुर चक्रित लखन लाग त्यहिबार १८७
गाफिल दीख्यो जब ताहरको बेला हनी तुरत तलवार ।।
घायल ह्वैगा ताहर ठाकुर बेला काटि लीन शिरयार १८८
बड़ा झमेला अब को गावै बेला कूच दीन करवाय ।।
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बेला ताहर का मैदान । ५८१
