पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५८२

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दुइमा एक बंश रहिजाय ॥ चेलाताहरकामैदान । ५८१ मुण्डन केरे मुड़चौरा भे औ रुण्डनके लगे पहार १७७ को गति वरणे वहि समया के चहुँदिशि होय भडाभड़मार॥ बड़ा लडैया ताहर नाहर यहुदलगंजनपरअसवार १७८ मारत मारत रजपूतन को बेला पास पहूँचा आय॥ जानि चॅदला फिरि ललकारयो ठाकुर कूच जाउ करवाय १७९ ब्रह्मरूप तब वेला बोली नाहर साँचदेय बतलाय ।। मोहिं झमेलाते मतलवना अधकर यहाँ देउ पहुँचाय१८० मोहिं जियावा घर बेलाने याही हेतु दीन पठवाय ॥ भिक्षक के समरभूमि में चाहे आप लेय छुड़वाय १८१ ऐसे अधकर यहु छुटि है ना इतना मुनिके ताहर नाहर बोले दोऊ भुजा उठाय १८२ सँभरिके बेटे अब घोड़े पर ठाकुर खबरदार लैजाय ।। इतना कहिके ताहर नाहर भालामारा तुरत चलाय १८३ वार वचाई तहँ भाला की बेला. बँचिलीन तलवार ॥ ऐचि सिरोही बेला मारी ताहर लीन ढालपर वार १८४ यड इकदन्ता को चढ़वैया चौड़ा आयगयो त्यहिवार । रूप देखिकै सो बेला का जान्यो सबै कपटव्यवहार १८५ चुरिया खुलिगै इक बेला की सोऊ दृष्टिपरी त्यहिबार ।। चौड़ा बोला तव ताहर ते यहुनहिंमोहवेकासरदार १८६ बहिनि तुम्हारी यह वेला है तुमते साँच बता३ यार ।। इतना सुनिकै ताहर ठाकुर चक्रितलखनलागत्यहिबार१८७ गाफिल दीख्यो जब ताहरको बेला हनी तुरत तलवार ।। घायल बैगा ताहर ठाकुर वेलाकाटिलीन शिरयार १८८ बड़ा झमेला अब को गावे वेला कूच दीन करवाय ।।