पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५८९

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8 आल्दखण्ड । ५८ ऊदन बैठे रस बेंदुलपर मन में ध्याय शारदामाय ।। सजे सिपाही सब गढ़े थे तुरतै कूच दीन करवाय २३ बाजत डंका अहतंका के यमुना पास पहूँचे जाय॥ पार उतरिक श्री यमुना के दिल्लीशहर गये नगच्याय २४ चन्दन बगिया जहँ पिरथीकी तहँ पर गये बनाफरराय ॥ चन्दन बढ़ई को बुलवायो चन्दन सबै दीन गिरवाय २५ तब तो माली हल्ला करिके चलिमे जहां पिथौराराय ।। लगी कचहरी महराजा की शोमा कही वून ना जाय २६ ठाढ़े माली तहँ बिनवत हैं दोऊ हाथ जोरि शिस्नाय ।। ऊदन आये हैं मोहवे ते चन्दनबाग डरी कट्याय २७ कहा न माना क्यहु मालीका ओ महराज पिथौराराय ॥ सुनिक वाते ये माली की चौड़ा धाँधू लीन वुलाय २८ कहि समुझावा तिन दूननते यहु महराज पिथौराराय ॥ जितने आये हैं बगिया में सबकी कटा देउ करवाय २६ इतना सुनिक चौड़ा घाँधू दूनों लीन फौज सजवाय ॥ चदि इकदन्ता भौरानंदपर दूनों कूच दीन करवाय ३० भारीलश्कर इत लाखनि का उत यहु गयो चौड़ियाआय॥ चन्दन छकड़ा चौड़ा घेरे औ यह बोला भुजा उठाय ३१ कौन वहादुर है मोहः मा चन्दनबाग लीन कटवाय ।। हुकुम पिथौरा का नाही है लकड़ी एक यहाँ से जाय ३२ मुनिक वाते ये चौड़ा की सम्मुख गये बनाफरआय ॥ हमीं वहादुर हैं मोहवे के चन्दनवाग लीन कटवाय ३३ मोहि ठकुरानी वेला रानी मोहने वाली दीन पाय॥ सती हैहै लै ब्रह्मा को . चाँडा साँच दीन बतलाय ३१