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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५९२

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चन्दन बाग केर मैदान । ५९१

करि खलभल्ला औं हल्लाअति लल्ला देशराज का लाल ।।
लड़ै इकल्ला रजपूतन ते ते कल्ला काटि गिरावै हाल ५९
जैसे होरी बल्ला जावै तैसे चलै खूब तलवार ।।
करै दुपल्ला तहँ छातिन के नाहर उदयसिंह सरदार ६०
जैसे भेडिन भेड़हा पैठै जैसे अहिर बिडारै गाय ।।
तैसे रणमा चौड़ा मारै क्षत्री जाय युद्ध अलगाय ६१
चौंड़ा ऊदनकी मारुनमा द्वउदल छिन्न भिन्न ह्वैजायँ ॥
यहु रण नाहर चौंड़ा चाँभनु बहु रणबाधु बनाफरराय ६२
कोऊ काहूते कमती ना द्वउ रण परा बरोबरि आय ॥
लाखनि धाँधूका मुर्चामा शोभा कही बूत ना जाय ६३
लड़ैं सिपाही दुहुँ तरफा ते आमाझोर चलै तलवार ।।
ना मुहँ फेरै दिल्ली वाले ना ई मोहबे के सरदार ६४
बड़ी लड़ाई भैं बगियां में चौंड़ा ऊदन के मैदान ।।
कायर भागे दुहुँ तरफा ते अपने अपने लिये परान ६५
लश्कर भाग्यो पृथीराज का जीत्यो कनउज का सरदार ॥
लादिकै छकरनमें चन्दन को चलिभा उदयसिंह त्यहिबार ६६
बाजत डंका अहतंका के लाखनि कूचदीन करवाय ।।
पार उतरि के श्री यमुना के तम्बुन फेरि पहूँचे पाय ६७
लाखनि ऊदन दोऊ ठाकुर वेलै खबरि जनाई जाय ॥
यह अलबेला बेला रानी अनमन उठी तहाॅ ते धाय ६८
दीख्यो छकरा फिरि चन्दन का बोली सुनो बनाफरराय ।।
गीले चन्दन ते सरि है ना सूखो चन्दन देउ मँगाय ६९
बारह खम्मा हैं दिल्ली मा जहँ दरबार पिथौरा क्यार ।।
ते लै आवो तुम जल्दी अब ठाकुर उदयसिंह सरदार ७०