पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५९२

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तैसे चन्दनवागकेरमैदान । ५६१ करि सलभल्ला औं हल्लाअति लल्ला देशराजका लाल । लड़े इकल्ला रजपूतन ते ते कल्ला काटि गिरावै हाल ५६ जैसे होरी बल्ला जावै तैसे चलै खूब तलवार । करै दुपल्ला तहँ छातिन के नाहर उदयसिंह सरदार ६० जैसे भेडिन भेड़हा पेठे जैसे अहिर विडारै गाय ।। रणमा चौड़ा मारै क्षत्रीजाय युद्ध अलगाय ६१ चौड़ा ऊदनकी मारुनमा दउदल छिन्न भिन्न हैजायँ ॥ यह रण नाहर चौड़ा चाँभनु बहु रणबाधु बनाफरराय ६२ कोऊ काहूते कमती ना दउरण परा बरोबरि आय ॥ लाखनि धाँधका मुर्चामा शोभा कही बूत ना जाय ६३ लड़ें सिपाही दुहुँ तरफा ते आमाझोर चलै तलवार । ना मुहँ फेरै दिल्लीवाले नाई मोहवे के सरदार ६४ बड़ी लड़ाई में बगियां में चौड़ा ऊदन के मैदान ।। कायर भागे दुहुँ तरफा ते अपने अपने लिये परान ६५ लश्कर भाग्यो पृथीराज का जीत्यो कनउजका सरदार ॥ लादिकै छकरनमें चन्दन को चलिभाउदयसिंहत्यहिवार ६६ वाजत डंका अहतंका के लाखनि कूचदीन करवाय ।। पार उतरि के श्री यमुना के तम्बुन फेरि पहूँचे पाय ६७ लाखनि ऊदन दोऊ ठाकुर वेलै खबरि जनाई जाय ॥ यह अलबेला बेला रानी अनमन उठी तहाँ ते धाय ६८ बोली सुनो बनाफरराय ।। गीले चन्दन ते सरि है ना सूखो चन्दन देउ मँगाय ६६ बारह खम्मा हैं दिल्ली मा जहँ दरवार पिथौरा क्यार ।। ठाकुर उदयसिंह सरदार ७० दीख्यो छकरा फिरि चन्दनका ते लै आवो तुम जल्दी अब