पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/६८

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माडोका युद्ध । ६३ मल्हना रानी के महलन में तुरते गये बनाफरराय २६ हाथ जोरि औ विनती कैकै बोला बचन उदयसिंहराय ।। जावें माता हम माड़ो को आयसु आपु देउ फरमाय २७ मोहिं भाज्ञा महराजा की माया आपु देउ बिसराय ।। दाया करिक म्बरे बालक पर माता हुकुम देउ फरमाय २८ सुनिकै बातें ये ऊदन की रानी गई सनाकाखाय ।। काह विधाता की मरजी है ऐसो कहै लहुरखा भाय २६ यह सोचिकै मन अपने मा श्री सूर्यनको शीश नवाय॥ मल्हना बोली बघऊदन ते हमरे सुनो बनाफरराय ३० विटिया बनियां की आहिन ना जो रण सुनिकै जायँ डेराय ॥ जौनि श्राज्ञा महराजा की आयसु खई बनाफरराय ३१ सवैया॥ जावहु पूत लड़व गढ़ माड़व आवो जीति यही हम चाहैं। सिंहिनि मातु नहीं मन सोच सदा यह वेद पुराणहु काहैं। धर्म कि मारग जेई चलें सुख तेई सदा जग में निखा है। बाप तुम्हार हन्यो करिया ललिते त्यहि मारो तबै सुखलाह ३२ बातें सुनिकै ये मल्हना की बोले तुरत बनाफरराय ।। आठ महीना की मुहलत दे नवयें चरण पूजिहाँ आय ३३ वादा मुनिकै बधऊदन का मल्हना बिदा कीन हर्षाय ॥ पाँचो चलिभे फिरि महलन ते औ लश्कर में पहुँचे आय ३४ तुरत नगड़ची को बुलवायो सय्यद बनरस का सरदार ।। बजे नगाड़ा अब मोहवे मा सवियाँ फौज होय तय्यार ३५ हुकुम पायकै सो ताल्हन को दौड़त चला नगड़वी जाय ।।