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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/६९

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आल्हखण्ड। ६५

धर्यो नगाड़ा फिरि सँड़ियापर भादौं मेघ अइस हहराय ३६
बोलि दरोगा घोड़े वाला चांदी कड़ा दीन डरवाय॥
हुकुम लगायो बघऊदन ने सबियाँ घोड़ सवाँरो जाय ३७
बूढ़ो दुर्बल रोगी घोड़ा एको नहीं किह्यो तय्यार॥
कच्छी मच्छी तानी तुरकी हरियलमुश्की घोड़अपार ३८
लक्खा गर्रा पॅचकल्यानी सुर्खा सुरँगा रंग बिरङ्ग॥
देर लगावो अब तनको ना घोड़ेनजायकसो सब तङ्ग ३६
सुनिकै बातैं बघऊदन की दौरत चला दरोगा जाय॥
जितने घोड़ा घोड़शारे माँ सबियाँवेगिलीन कसवाय ४०
हथी महावत हाथी लैकै तिनका करन लाग तैयार॥
अंगद पंगद मकुना भौंरा छोटे पर्बत के अनुहार ४१
मैनकुंज मलिया धौंरागिरि औ भौंरागिरि दीन बिठाय॥
धरिकै सीढी सांखो वाली हाथी सजैं महावत धाय ४२
डारि बिछौना मखमल वाले ऊपर हौदा दीन धराय॥
हिरा बिराजैं अम्बारिन में शोभा कही बूत ना जाय ४३
बारह कलशा सोने वाले हौदा ऊपर करैं बहार॥
यक यक हाथी के हौदा पर दुइ दुइ शूर भये असवार ४४
बोलि दरोगा तोपन वाला रुपिया मुहर दई इनाम॥
बड़ि बड़ि तोपैं जल्दी साजो जासों होय हमारो काम ४५
सुनिकै बातैं मलखाने की दौरत चला दरोगा जाय॥
कुवॉ सुखावनि गर्भगिरावनि चर्खी उपर दीन चढ़वाय ४६
सूर्य्य लपक्कनि चन्दझपक्कनि बिजुलीतड़पनि लीन मँगाय॥
मेघगरज्जनि अष्टधातु की गोला एक मनाको खाय ४७
तोप संकटा औ लछिमिनियाँ भैरों तोप लीन मँगवाय॥