पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/७२

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माडोका युद्ध । ६७ रक्षा करि हैं बिसमिल्ला जी करि हैं खुदा खैर यहि बार ७१ पायँ लागि महतारी के योगी बने उदयसिंहराय ।। छोड़ि आसरा जिंदगानी को औ सब मयामोह बिसराय ७३ पहिरिकेगुदड़ीापनिआपनि चारो भाय बनाफरराय ॥ पहिरिकै गुदड़ी बनरस वाला बँझड़ीापनिलीनउठाय ७४ पाँचो चलिमे गढ़माड़ो को गावतपर्ज और ध्वनि ख्याल । भाइ लहुरवा थिरकति जावै बेटा देशराज को लाल ७५ को गति बरणै तिन योगिनकै हमरे बूत कही ना जाय । बबुरीबनके बाहर हैकै माड़ो तरे पहूँचे आय ७६ बजे :सरंगी भल देवाकै सय्यद बँझरी रहा बजाय ।। कर इकतारा मलखाने के आल्हा डमरू रहे घुमाय ७७ ध्वनि सुनि डमरूकै बझड़ीतहँ तामें मिले -तुरतही आय ॥ डमरू ध्वनि में इकतारा मिलि औ सागि को रहा बुलाय ७८ चारो मिलिकै इकमिल कैकै पाँचो शब्द पहूँचै जाय ॥ ॥ शब्द मिलावे द्यावलि वालो यहु आल्हाकलहुवाभाय ७६ को गति धरणे बघऊदन के गावै गीत छतीसो राग ।। बड़ी भक्तिमय कृष्णचंद्रमें पूरो भयो तहाँ अनुराग ८० बाहू दोऊ फरकन लागी नैना अग्नि बरण होजाय ।। देवी शारदाको ध्यावतभो यहु आल्हाकलहुरवाभाय ८? अई शारदा उर ऊदन के औ सब हाल दीन बतलाय ।। बड़ी खुशाली भय ऊदन के जाना मिलाबापका दाँय ८२ तब तो थिरकै भल गलियन में फाटक तरे पहूँचा जाय ।। अलख जगावै शब्द सुनावें योगिन धूनी दीन रमाय ८३ तव दरवानी बोलन लागे बाबा मतलब देउ बताय ।।