रक्षा करि हैं बिसमिल्ला जी करि हैं खुदा खैर यहि बार ७१
पायँ लागिकै महतारी के योगी बने उदयसिंहराय॥
छोड़ि आसरा जिंदगानी को औ सब मयामोह बिसराय ७३
पहिरिकैगुदड़ीआपनिआपनि चारो भाय बनाफरराय॥
पहिरिकै गुदड़ी बनरस वाला खँझड़ीापनिलीनउठाय ७४
पाँचो चलिभे गढ़माड़ो को गावतपर्ज और ध्वनि ख्याल॥
भाइ लहुरवा थिरकति जावै बेटा देशराज को लाल ७५
को गति बरणै तिन योगिनकै हमरे बूत कही ना जाय॥
बबुरीबनके बाहर ह्वैकै माड़ो तरे पहूँचे आय ७६
बजै सरंगी भल देबाकै सय्यद खँझरी रहा बजाय॥
कर इकतारा मलखाने के आल्हा डमरू रहे घुमाय ७७
ध्वनि सुनि डमरूकै खँझड़ीतहँ तामें मिले तुरतही आय॥
डमरू ध्वनि में इकतारा मिलि औ सारँगि को रहा बुलाय ७८
चारो मिलिकै इकमिल ह्वैकै पाँचो शब्द पहूँचै जाय॥
शब्द मिलाकै द्यावलि वालो यहु आल्हाकलहुवाभाय ७९
को गति बरणै बघऊदन कै गावै गीत छतीसो राग॥
बड़ी भक्तिभय कृष्णचंद्रमें पूरो भयो तहाँ अनुराग ८०
बाहू दोऊ फरकन लागीं नैना अग्नि बरण होजायँ॥
देवी शारदाको ध्यावतभो यहु आल्हाकलहुरवाभाय ८१
अई शारदा उर ऊदन के औ सब हाल दीन बतलाय॥
बड़ी खुशाली भय ऊदन के जाना मिला बापका दाँय ८२
तब तो थिरकै भल गलियन में फाटक तरे पहूँचा जाय॥
अलख जगावैं शब्द सुनावैं योगिन धूनी दीन रमाय ८३
तव दरवानी बोलन लागे बाबा मतलब देउ बताय॥
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माड़ोका युद्ध। ६७
