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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/८

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संयोगिनिस्वयम्बर।

जायकै पहुँच्यो कोतवाल दिग औ सबखबरिसुनायो जाय २९
पाय इत्तिला द्वारपाल सों तुरतै अटा भवन में आय॥
सावधान ह्वै हाथ जोरिकै मन्त्रिहिशीश नवायोजाय ३०
ठाढ़े देख्यो कोतवाल को मन्त्री हुकुम दीन फर्माय॥
मंच गड़ावो दिशि पूरब में मारग साफ करावो जाय ३१
ह्वई स्वयम्बर संयोगिनि का पुर में डौंड़ी देव पिटाय॥
झण्डा गाड़ो राजमहल में बन्दनवार देव बँधवाय ३२
सुनिकै बातैं ये मन्त्री की तुरतै कोतवाल चलिजाय॥
कलम दवाइति कागज लैकै सीताराम चरण मनध्याय ३३
चिट्ठी लिखिकै सब राजन को मन्त्री धावन लीन बुलाय॥
दै दै चिट्ठी हरकारन को राजनन्यवत दीन पहुँचाय ३४
साजि सांड़िया को जल्दी सों धावन तुरत भये असवार॥
चिट्ठी लैकै महराजा कै पहुँचे राजन के दर्बार ३५
चिट्ठी पावत महराजा कै राजा सबै भये हुशियार॥
अपनी अपनी सब फौजन को राजन तुरत कीन तय्यार ३६
बाजे डंका अहतंका के बंका चलत भये नरपाल॥
मारु मारु करि मौहरि बाजीं बाजीं हाव हाव करनाल ३७
ढाढ़ी करखा बोलन लागे बन्दिन कीन समरपद गान॥
दान मान दै सब बिप्रन को राजन कीन तुरत प्रस्थान ३८
खर खर खर खर कै रथ दौरैं चह चह रहीं धुरी चिल्लाय॥
दाबति आवैं सब कनउज का भारी अंधकार गा छाय ३९
मस्ता हाथी घूमत आवैं छैला घोड़ नचावत जाँय॥
रातौ दिन का धावा करिकै कनउज धुरा दबायनि आय ४०
को गति बरणै तेहि समया कै हमरे बून कही ना जाय॥