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पृष्ठ:आवारागर्द.djvu/९१

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आवारागर्द


इस बार फिर दोनो भली भांति एक हुए। न मालूम क्यों? समाज और धर्म के विधान पति-पत्नी होने पर भी उन्हें उतना निकट न ला सके थे, जितना वे अब मधुर, किंतु विस्मृत और असम बाल्य-स्मृति से निकट आ गए।