पृष्ठ:इतिहास तिमिरनाशक भाग 2.djvu/२९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२७
दूसरा खण्ड

सन १७८५ में हेस्टिंगज़ इस्तीफा देकर इंगलिस्तान को १०८५ ई॰ चला गया। और मेक्फ़र्सन*[१] जो कोंसल का बड़ा मिम्बर था गवर्नर जनरल के उहदे का काम अंजाम देने लगा।

उधर इंगलिस्तान में सन १०८५ के दर्मियान पालीमेंट के हुक्म से एक महकमा बोर्ड आफ कंट्रोल का मुकर्रर हो गया था उस में बादशाही कोंसल के छ वज़ीर बैठते थे। और वह कोर्ट आफ डेरेकृर्स से बालादस्त थे। तिजारत के सिवाय हिंदुस्तान के सारे कामों पर उन को पूरा इतियार था। और कोर्ट आफ डेरेकृर्स को सब काम उन की मर्जी के बमजिव करना पड़ता था। गवर्नर और गवर्नर जेनरल भी उन्हों को मंजूरी से मुकर्रर होता था। निदान बोर्ड आफ कंट्रोल के मुकर्रर होने से यहां के कामों में बड़ाफ़र्क आ गया। अब तक यहाँ वालों को निरी कम्पनी यानी सौदागरों कीएक जमाअत से काम था। और अब इंगलिस्तान के बादशाहो वजीरों से काम पड़ा। दुश्मनों का जोर घटा। और रकाम्यात का भरोसा बढ़ा।


लार्ड कार्नवालिस

सन् १७८६ में लार्ड कार्नवालिस गवर्नर जनरल मुकर्रर १७८६ ई॰ हुआ। और यहां आया।

चिवाङ्कोड्कं के राजा से अंगरेज़ों का अहेदनामा होगया था इसीलिये जब सन १७८९ में टीपू ने नाहक तकरार बढ़ा कर १७८६ ई॰ चिवाड्कीड्क पर चढ़ाई की। अंगरेजों को राजा के बचावकेलिये टीपू पर चढ़ाई करनी पड़ी। लार्ड कार्नवालिस हैदराबाद के नव्वाब निज़ांमुलमुलक और पेशवा से आपस की मददकाकोल करार ले कर खुद मंदराज गया और टोप के मुल्क मैसूर पर चढ़ाई कर दी। बम्बई से भी कुछ अंगरेज़ी फौज आयीं थी


  1. *यह साहिब हिंदुस्तान में रोज़गार की तलाश को अर्काट के नवाब के मुख़्तार बन के आये थे।