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इतिहास तिमिरनाशक

ज़िले ज़िले घाटे घाटे और क़िले क़िले लड़ाई होने लगी। जब टीपू को कई मज़बूती में मशहूर पहाड़ी क़िले सर्कार के क़ब्जे में आ गये। और सर्कारी फ़ौज लड़ती भिड़ती फ़तह के १७९२ ई० निशान उड़ाती सन् १७९२ में टीपू की राजधानी श्रीरंग पट्टन के अंदर जा पहुंची और क़रीब था कि क़िले पर जिस में टीपू घुसा हुआ था हमला करे। टीपू ने अपनेदोनों लड़कोंको ओल में लार्ड कार्नवालिस के पासभेज दिया। और तीनकरोड़ तीस लाख रुपया लड़ाई का खर्च और आधा मुल्क अंगरेज़ और नवाब और मरहठों को दे कर आपस में सब के साथ सुलह रखने का अ़हदनामा लिख दिया। उस आधे मुल्क से जो टीपने दिया। अंगरेजोंके हिस्से में मलीबार कुड़ग दिंदीगल और बारह महाल आया।

१७९३ ई० सन् १७९३ में अंगरेजों की फ़रासीसियों से फिर लड़ाईछिड़ जाने के सबब पटुच्चेरी वगैर: उन के इलाकों में सर्कार ने अपना क़ब्ज़ा कर लिया। लार्ड कार्नवालिस इंगलिस्तान को सिधारा बंगाले और बनारस में जमीदारों के साथ इस्ति- मरारी बंदोबस्त इसी ने किया। जब तक रहेगा उसकानाम इस देस में नेकी के साथ बना रक्खेगा। लार्ड कार्नवालिसकी जगह पर सरजान शोर जो कोसलका अव्वलमिम्बरथागवर्नर जेनरल हुआ।

१७९५ ई० सन १७९५ में कर्नाटक का नव्वाब मुहम्मदअली मरगया। उस का बड़ा बेटा उमदतुल उमरा उस को जगह पर बैठा।

१७९७ ई० सन् १७९७ में नव्वाब वज़ीर आसिफुद्दौला मरगया। वज़ीर-अली उसकी जगह पर बेठा। लेकिन पीछेसे सर्कारको मालूम हुआ कि वह उस का असलीलड़का नहीं है तब वज़ीरअ़ली को मस्नद से उठाकर आसिफुद्दौला के भाई स़आदतअलीखां को मस्नद पर बिठाया। सआदतअलीखां ने अंगरेजोंकोअवध मैं दस हज़ार फौज रखने के लिये छिहत्तर लाख रुपया साल खर्च देने का अहदनामालिख दिया और इलाहावादका क़िला भी उन के हवाले किया।