यकायक हमला कर दिया। लेकिन जबकर्नल जिलस्पीअरकाट
से हिन्दुस्तानी और अंगरेज़ी रिसालोंके सवार ओर तोपेंलेकर
बिल्लूर में पहुंचा सिपाही कोई ४०० तो मारेगये। और बाक़ी
कुछ क़ैद हुए और कुछ मुआफ करदिये गये। दोनों पल्टनों
का नाम जिनके सिपाहियों ने यह बलवा किया था फ़ौज की
फ़िहरिस्त से कट गया। बाज़े ऐसा भी गुमान करते हैं कि
इस में टीपू सुल्तानके घरवालों की साज़िसथी पर सुबूत नहीं
मिला। जी हो टीपू के घरवाले नज़र्बन्द रहने को कलकत्ते
भेजे गये और उसके पिंशन घटाये गये। मंदरान के गवर्नर
लाईविलियमबेंटिंक जिसे यहांवाले लार्डबिंटिक कहतेहैं और
कमांडर इन्चीफ़ की बदनामी हुई दोनों विलायत चले गये *।
लार्ड मिन्टो
आख़िर जुलाई सन् १८०० में लार्डमिन्टो गवर्नर जेनरल १८०० ई० मुक़र्रर होकरआया। और सर जार्जबाली लार्डबेंटिंक के उहदे पर मंदराज चला गया। लार्डमिन्टो को पांच बरसतक कुछ फ़ौज बुंदेलखंड में रखनी पड़ी सन १८१२ में कालिंजर का क़िला हाथ लगा। और वहां का बखेड़ा तै हुआ।
सर्कारकी फरासीसके मशहूर शाहन्शाह नेपोलियन बोना- पार्ट की तरफ़ से हिन्दुस्तान पर हमला होने का खटकाथा और इनदिनोंमें उसका एक वकील भी बड़ी धूमधाम से ईरान के बादशाह के पास आया था। इसलिये लाडमिन्टो ने बीच के मुलकवाले यानी पंजाब और अफ़ग़ानिस्तान और ईरान के मालिकों से कोल करार कर लेना मुनासिब समझा।
पंजाब में रंजीतसिंह सिक्खों का गजा बन बैठाया। और
हर तरफ़से मुल्क दबाता चलाजाताथा। यहाँतककि सतलज
इस पार अपनी फ़ौजें उतार लाया। और जमना को अपनेराज
को सर्हद्द बनाना चाहा। जब लार्ड मिन्टो की तरफ से १८०८ ई०
चार्लसमिटकाफ़उसके पास पहुंचा। वह इसके समझानेको पहले
- विलायत से इस किताब में सब जगह इंगलिस्तान की
विलायत समझना चाहिये।