पृष्ठ:इतिहास तिमिरनाशक भाग 2.djvu/८

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इतिहास तिमिरनाशक


१६६८ ई० और वहां सेंटजार्ज किला बनाया। सन् १६६८ मैं इंगलिस्तान के बादशाह दूसरे चार्लस ने बम्बई का ठापूजो उसने पुर्तगाल वालो से दहेज़ में पाया था। सोरुपये साल ख़राज पर कम्पनी को दे डाला। कलकत्ता भी उन दिनों निरा एक गांवसाया। छोटानटी और गोबिंदपुर इनदोनों गावों के साथ उस को सनद दिल्ली के बादशाह से लेकर वहां इन्हों ने फोर्ट विलियम किला बनाया।

सन् १७१५ में कालकते के प्रेसिडेंट ने कुछ तुहफ़तिहाइफा के साथ दी साहिबौं को एलचियों के तौर पर फर्रूख़सियर के दर्बार में भेजा। बादशाह उन दिनों बीमार था। मर्जीभगवान की इन्हीं एलचियों के साथ हमिल्टन नाम जो डाकृर था। उसी के इलाज से चंगा हुआ। हुक्म दिया इनाम मांग जो मांगलया। मुहमांगा पावेगा। इस ने अपने लिये तो कुछ न मांगा पर अर्ज़ किया कि अगर ज़हाँपनाह खुश हैं तो कम्पनी को बंदले में अड़तीस गाँव की ज़मीदारी खरीदने की परवानगी मिले। और कलकत्ते के प्रेसिडेंट की दस्तक से जो माल रवाना हो महसूल के लिये उस की तलाशी न ली जावें। सच पूछों तो डाकर हमिल्टन ने बड़ी हिम्मत का काम किया। अपना नुकसान सह के अपने मुल्क वालों का फाइदा चाहना हकीकत में बड़ी हिम्मत का काम है बादशाह ने उसकीदोनों बातों को मान लिया। उनदिनों में हिंदुस्तान से छीटओरसूती कपड़ा इंगलिस्तान को बहुत जाताथा अंगरेजोंकाइरादायाकि कलकत्ते के गिर्द ज़मींदारी लेकर इतने जुलाहे बसावे किफिर कपड़ों की तलाश गांवगांव न करनीपड़े। क्याअपरम्पारमहिमा है सर्वशक्तिमान जगदीश्वर की कि यहां के जुलाहे तो जुलाहे ही बने रहे और इंगलिस्तान वाले जहाज़ भर भर कर अब यहां सूती कपड़े पहुंचाने लगे। निदान ज़मींदारीतोउस वक्त बंगाले के सूबेदारने अंगरेजोंके हाथ नहीं लगनेदोज़मी- द्वारौको बेचनेकी मनाही करदी। लेकिनइसके मालपरमहमल