मुआफही जानेसे उसे बहुत नुकसान पहुंचा। प्रेसिडेंटनेंसारा.
माल अपनी दस्तक से मंगाना और रवाना करना शुरू किया
यानी जो माल कम्पनी का नहीं था उसको भी अपने औरदुसरे'
साहिबों के फाइदे के लिये दस्तक दे कर महसूल कोतलाशी
से बचाने लगा।
इस असें में फरासीसियोंने पडुच्चेरीको मजबूत करलिया था। जब सन् १७४४ में इंगलिस्तान और फरासीस के दर्मियान १७४४ ई.दुश्मनी पैदा हुई तो उन्होंने हज़ार दो हज़ार सिपाहींभेजकर मंदरास घेर लिया। अंगरेज़ वहां इस वक्त ३०० सेज़ियादा न थे पांच दिन घिरे रह कर फरासीसियों के कौल करार पर दर्वाज़ा खोल दिया। और जो कुछ था उन के हवाले किया। लेकिन थोड़े ही दिनों बाद कुछ अंगरेज़ी जंगी जहाज़ आगये तो इन्हों ने मंदरास में भी कबजा किया और पटुच्चे रोजारा। पर महीने भर बाद बरसात आजाने के सबब घेरा उठा लेना पड़ा।
तमजोर का राजा प्रतापसिंह नाबालिग़ था उस के भाई साहूची ने अंगरेज़ों से कहा कि तननोर वाले प्रतापसिंह से नाराज़ और मुझसे राज़ी हैं अगर गद्दी दिला दो देवीकोटे का किला और जिला तुम्हारे हवाले कर अंगरेज़ी फ़ौज चढ़गयी। शादव तल लेफ्रिनेंट था धावा इसी के नाम से हुआ किला टूटने पर प्रतापसिंह ने देबीकोटा अंगरेजों को दे दिया थोर पाहूजी के आने को कुछ सालाना मुकर्रर कर दिया अंगरेज़ी सार वस बात से राजी हो गयी।
पटुच्चेरी का फरासीसी गवर्नर डुप्रे अगरेजोंसे बड़ी लागरखता
था। जोबातइसमुलुकमें अबअंगरेजो कोहे वह उसेफ़रासीसियों
केलिये हासिल किया चाहताथा। सन १४८ मेंदखनकेसूबेदार १७४८ ई० आसिफजाह के मरनेपर जब उसके बेटे पोतों में तकरारहुई
- यह १०४ बरस का होकर मरा।