पृष्ठ:उपहार.djvu/११

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।


चातुरी, अधिक सुक्ष्मता, अधिक स्वाभाविकता, अधिक स्पष्टता या अधिक सौन्दर्य से काम लेना चाहिए था। परन्तु मेरी समझ में, इन कहानियों के सन्देश के सम्बन्ध में दो मत नहीं हो सकते। इनका जो लक्ष्य है, मानवता के जिस पहलू का इनमें चित्रण है, आत्मा की जिस पुकार फो हम इनमें सुनते हैं वह हमारी थोती आलोचना के कहीं परे है। उसकी सत्यता, उसकी सार्थकता, उसके व्यापकत्य और उसकी गुरुता पर हम सन्देह नहीं कर सकते। उसे हमारे मनन, चिन्तन और आचरण की वस्तु होनी ही चाहिए। हमें केवल शान्त-गभीर चित्त से, पक्षपातरहित होकर उदार हृदय की कोमल सहानुभूति के साथ इन कहानियों को पढ़ना होगा। हम देखेंगे कि तब लेखिका के दृष्टिकोण से हम ठीक-ठीक समझ सकते हैं। उसकी प्रशंसा भी कर सकते हैं। उसके द्वारा उपस्थित किए गए सत्य के स्वरूप को पहचान सकते है, और इस प्रकार लेखिका की कृति का उचित मूल्य भी आंक सकते हैं।

प्रस्तुत संग्रह में कुमारी जी की नौ कहानियाँ संगृहीत हैं। १ उन्मादिनी २ असमंजस ३ अभियुक्ता ४ सोने की कंठी ५ नारी हृदय ६ पवित्र ईर्षा ७ अंगूठी को खोज ८ चढ़ा दिमाग़ और ९ वेश्या की लड़की।

उमादिनी में होना अपने पाल सपा कुन्दन के प्रति स्नेह-भाव रखती है, किन्तु उसके पिता जी उसका विवाह एक इंजीनियर साहब से कर डालते हैं। इससे उसके सुकुमार, भामुक हृदय को एक आघात लगता है। पतिदेव के घर पहुँच कर यह इंजीनियर साहय के प्राचार-विचार, रहन सहन, वेश-भूषा, बोल-चाल, कार्य-व्यवहार, सभी से