पृष्ठ:उपहार.djvu/१३५

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दिन विमला की मां से उन्हें और भी बहुत सी बातें मालूम हुई, अखिलेश कुछ विचलित से हो उठे। उन्हें अपने ही ऊपर क्रोध आया। उन्होंने सोचा- में भी क्या व्यक्ति हू जिसके कारण एक सुखी दम्पति का जीवन दुखी हुआ जा रहा है। उन्हें कोई मतीकार ने मुझ पटा और अन्त में वह एक निश्चय पर पहुंचे। पर कुछ दिनों से वह यही कालेज में प्रोफेसर हो गए थे। उन्होंने एक पत्र कालेज के प्रिंसपल के लिये लिखा और दूसरा लिखा विनोद के लिये। कालेज का पत्र उसी समय कालेज भेज कर, दूसरा पत्र नोकर को देकर समझा दिया कि शाम को वह विनोद को दे आवे। नौकर बाजार गया था, रास्ते में विनोद से उसकी भेंट हुई; सोचा, कि शाम को फिर इतनी दूर आने का लफड़ा कौन रखे, यह मिल गये हैं तो पत्र यही देदूं । चिट्ठी निकाल कर विनोद को देकर वह आगे निकल गया। पत्र पढ़ते ही विनोद घबरा गये। रात से विमला की तबीयत खराब थी। वह डाक्टर बुलाने आए थे, अब उन्हें डाकृर की याद न रही। वह सीधे अखिलेश के घर की तरफ दौडे। अखिलेश घर न मिले तो उन्हें देखने कालेज गये, किंतु वहां अखिलेश तो न मिले, हां, हर एक की जबान पर, बिना किसी कारण ही दिए हुए, अखिलेश के इस्तीफे की चर्चा अवश्य सुनने को मिली। विनोद ने आकर प्रिंसपल से अखिलेश का इस्तीफा वापस लिया और उनसे कहा कि अखिलेश से मिल कर वह इस्तीफे के विषय में अन्तिम सूचना देंगें। जब तक विनोद से उन्हें कोई सूचना न मिले तब तक यह इस्तीफे पर किसी प्रकार का निर्णय में करें। वहां से वह फिर अखिलेश के घर आए । दरवाजे