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आज हमारे समाज में कितने ही शिक्षित, सभ्य युवक पत्नी से असंतुष्ट रहते हैं। कभी-कभी पत्नी के प्रति उनका यह असंतोष उनके जीवन को भी नीरस और आकर्षणशून्य बना देता है। प्रस्तुत कहानी में योगेश भी एक ऐसा ही शिक्षित, विद्यानुरागी, भाबुक युवक है जो अपने माता-पिता द्वारा एक अपढ़, कुरूप,मूर्खयालिका के साथ विवाह के पवित्र-सूत्र में बांध दिया जाता है। पहले तो कुछ काल तक वह किसी प्रकार यशोदा के साथ जीवन को सुसमय बनाने की निष्फल चेष्टा करता है। फिर उसे असंभव समझ कर हताश-सा हो जाता है। वह पत्नी से असंतुष्ट, घर से विरक्त और जीवन में उत्साह-हीन रहने लगता है। उसकी दिनचर्या ही बदल जाती है। किन्तु इसी समय एक घटना घटती है और उसके साथ ही एक शिक्षित, सम्य तथा उन्नत विचारों की विदुपी उसके जीवन में प्रवेश करती है। योगेश का उसके साहचर्य में अपने मन का विश्राम खोजना चाहे उचित न कहा जा सके, पर स्वाभा- विक अवश्य है। ब्रजांगना भोली और सरल है, साक्षर, सभ्य और सुन्दर है।

"A Creature not too bright or good For human nature's daily food,"

उसकी स्वाभाविक उदारता, उसकी सहज सहानुभूति योगेश को कुछ हो काल में अपनी ओर आकर्षित कर लेती हैं। परिचय मित्रता में परिणत हो जाता है और अनुरक्ति आसकि्त का रूप धारण कर लेती है। ब्रजांगना के सम्बन्ध में योगेश ने कितनी ही अनर्गल बातें सुन रखी हैं। यह उनसे कुछ अंश में प्रभावित भी हो चुका है। किन्तु ब्रजांगना के


  • Wordsworth "She was a Phantom of delight"