पृष्ठ:ऊर्म्मिला.pdf/१६

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उम्मिला ? ? ६ सुनेगा कौन ?--अरी दुर्वृति, विश्व-गायन को किसने सुना प्रकृति माता की शीतल पवन- लोरियो को किस-किस ने सुना दुधमुहे शिशु का क्रन्दन करुण- कौन सुना है ? देखो अरे, अनोखी, विकृत, बावली तान- सदा है शुष्क बुद्धि से परे , नहीं होगा यह कोई काव्य, अरे, यह तो है स्पन्दन मात्र कही यदि कॉपा,--तो फिर देख, सिहर उठेंगे सारे गात्र । ७ . कई अव्यक्त भावना भरे- बज उठेगे वीणा के तार कई प्यारे फूलो से गुंथे- हिल उठेगे क्रीडा के हार कई कोमल चुम्बन से पगे- कॅपेगे नव वीडा के प्यार कई , हृत्खड-बेधन-क्षम होगे कट्टर पीडा के वार लेखनी, टूटी हो ? हो, बनी रहो, सह जानो यह गुरु भार, ऊम्मिला-पद-पद्मो की धूलि तुम्हे पहुचावेगी उस पार ।