पृष्ठ:ऊर्म्मिला.pdf/४४८

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ऊम्मिला कितै तिहारी मृदु छटा? कितै तिहारो देश? कितै तिहारो नेह मय चिर सयोग विशेष । २१२ कितै पिया की नगरिया ? अजहु न जानी जाय, का जानौ साजन रहे कौन देश मे छाय ? चलिबो-चलिबो रैन-दिन, तनिक न रहिबो बैठि, अष्टयाम को जागिबो, अन्तर तर में पैठि । २१४ सुनिबो धनु टकार की अनहद धुनि यि बीच, करिबो मानस अर्चना , नयनन तै जल सीचि । २१५ जीवन मग मे चलन के ये साधन निष्काम, जीवन को साफल्य है, नित प्रयत्न अविराम । जिय एतो विश्वास है, हिय मे एती प्रास, देस तिहारो है कहूँ, जहाँ तिहारो बास । ४३४