पृष्ठ:ऊर्म्मिला.pdf/९

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सम्भव है, इन कारणों के अतिरिक्त और भी कुछ कारण हों जो महाकाव्यो और विराट काव्यो के निर्माण के लिये वर्तमान, युग की अनुपयुक्तता सिद्ध करने के पक्ष में दिये जाते हो। मैने उपयुक्त कारण किसी अन्ध से नहीं लिये है। मैंने अपने ही मस्तिष्क को खरोच- खरोच कर ये दस कारण ढूंढ निकाले है। इन कारणो पर विचार करना ५ युक्त होगा या नहीं, यह प्रश्न मेरे सामने है। यह प्रश्न मेरे मन में क्यों उठा ? इसीलिये कि साहित्य-कला-कृतियो के निर्माण सम्बन्धी कारणो के ऊहापोह को मैं एक सीमा तक ही उपयुक्त सम- झता हूँ । सामाजिक एव बाह्य परिस्थितियों के ऊपर इस प्रकार कला के विकास को आधारित करना कुछ अशो में लाभप्रद होते हुए भी, कुछ अशों मे अवैज्ञानिक भी है। ग्रीस के-पेरिक्लीस कालीन एथेन्स के-कला विकास को तत्कालीन एथानियन समृद्धि एवं एथेन्स के निवासियो की आर्थिक निश्चिन्तता पर पूर्ण रूपेण आधारित करना जिस प्रकार एक उपहासास्पद प्रयास है, यूरोपियन रिनाएसॉस-~-यूरोपीय साहित्य-कला-पुनरुज्जीवन- प्रवाह–को जिस प्रकार केवल नुत्कालीन परिस्थितियों पर अवलम्बित मानना एक अवैज्ञानिक उपक्रम है, उसी प्रकार, उपयुक्त कारणो के आधार पर वर्तमान युग को महाकाव्य या विराट काव्य के अनुपयुक्त मानना अनुचित और अवैज्ञानिक है । ठीक है, पेरोक्लीस का एथेन्स नगर-राज्य धन-धान्य पूर्ण था, लोगो को निश्चिन्तता थी, अंतः वह नेश्चिन्त्य और अवसर एक सीमा तक कला-विकास में सहायक हुआ। पर, अवकाश और नैश्चिन्त्य मात्र से सुकरात, प्लेटो, अरस्तू, फीडियास, अनेक दुखान्त नाटकों के लोकोत्तर रचयिता, आदि, विभू- तियाँ कैसे प्रसूत हो गई। इसी प्रकार जो व्यक्ति युरोपीय पुनरुज्जीवन काल को वणिक वर्गीय, अभिजात वर्गीय मानते है, वे भी भूल करते है-अर्थात् वे लोग जो उस पहली वेगशालिनी जीवन-लहर को केवल मात्र भौतिक, सामाजिक परिस्थिति से नि.मृत मानते है, वे वास्तव मे अवैज्ञानिक और प्रतिक्रियावादी है । तत्कालीन युग मे इटली मे वेनिस और जिनोआ प्रदेश वणिक्-व्यवसाय-दृष्टि से बड़े समृद्ध नगर वहाँ यूरोपीय पुनरुज्जीवन का कोई भी प्रतिनिधि कलाकार, साहित्य- स्रष्टा, तत्ववेत्ता उत्पन्न नहीं हुआ। उस पुनरुज्जीवन-प्रवाह के भागी- रथ हुए उस फ्लोरेन्स प्रदेश मे जो अभिजात वर्गीय प्रभाव से अक्रान्त