पृष्ठ:ऊषा-अनिरुद्ध.djvu/५३

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अब लक्ष्मणजी के साथ बनों में सीता माता को ढूंढते फिर रहे ये तब उन्हें एक गूंगा रीछ मिला । शैलका अर्थ है पर्वत । उस स्थान में पर्वत नगीच था । सो श्रीरामचंद्रजी लक्ष्मण सहित उसके ऊपर जा चढ़े । उपागमत् का अर्थ है ऊपर जा चढ़े । याद रखना।

सरयू०--महाराज, उपागमत् का अर्थ ऊपर जाचढ़े किस प्रकार ?

माधो०--यह इंगिल भाषा का शब्द है। यह भाषा कलिकाल में प्रचार पायेगी । जब हम श्रीरामेश्वरजी की यात्रा में गए रहे तब बंगदेश के एक बङ्गाली बाबा से उपागमत् का अर्थ सुना रहा। हाँ, तो उपागमत् कहिए पर्वत के ऊपर चढ़गए । नहीं तो रामचन्द्रजी को गूंगे रीछ से बड़ा भारी युद्ध करना पड़ता।

गोमती०--और जो वह रीछ रामजी का दास होता तो ?

माधो०--तो रामजी उसे बोलनेवाला बनादेते । क्योंकि रामायणजी में कहा ही जो है-'मूकं करोति वाचालम्।। रामका दास होता तो गूंगा ही नहीं होता। क्योंकि राम आसरे रामजी के दासों की महिमा रामजी से बड़ी है । बस अधिक समय होगया। कीचकधा काण्डका बाकी सत्संग ठीक इसी समय कल होगा।

कृष्ण--(स्वगत) हाय ! वैष्णव धर्म के पुजारियो तुमपर बड़ा तरस आता है।

गोमती०--एक बात और बतादीजिए गुरुजी । राम राक्षस थे या रावण राक्षस था।