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* अंक दूसरा *
पहला दृश्य
(स्थान द्वारिकापुरी)
[चित्रलेखा का प्रवेश]
चित्रलेखा-
गाना
धन्य धन्य द्वारिकापुरी है, कृष्णचन्द्र की यह नगरी है।
सुन्दर सुखदाता सगरी है, जिसकी महिमा बहुत बड़ीहै ।
गूंजरही भौरों की टोली, बोलरही है कोकिल बोली ।
हरियाली से हरी भरी है, धन्य धन्य द्वारिकापुरी है ।
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