पृष्ठ:कबीर वचनावली.djvu/२०५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

( १८७ ) राम का नाम चौवेद का मूल है। 'निगम निचोर करतत्व छानी। राम का नाम षट सासतर मथिए चली षटदरसनों में कहानी ।। राम का नाम अग्गाध लीला वड़ी खोजत खोज नहिं हार मानी। राम का नाम ले विष्णु सुमिरन करै । राम का नाम शिवजोग ध्यानी ॥ राम का नाम लै सिद्ध साधक बने संभु सनकादि नारद गिानी । राम का नाम लै दृष्टि लइ रामचंद भए वासिष्ठ गुरु मंत्र दानी ।। कहाँ लैंी कहों अग्गाध लीला रची राम का नाम काहू न जानी। राम का नाम ले कृष्ण गीता कथी 'वाँधिया सेत तव मर्म जानी ।। है परम जोति औ गुन निराकार है तासु को नाम निरंकार मानी। रूप विनरेख विन निगम प्रस्तुति करै सत्त की राह अनकथ कहानी ।। विष्णु सुमिरन करैजोग शिव जेहि धरै भनै सव ब्रह्म वेदांत गाया। ब्रह्म सनकादि कोइ पार पावै नहीं तासु का नाम 'कह रामराया। कहे कवीर वह शख्श तहकीक कर राम का नाम जो पृथी लाया ।।