पृष्ठ:कबीर वचनावली.djvu/२७४

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पप it । नाम : रमाई। माari garl मार ire नि लागा। नि । anga n पर गा I मापने मन की || पर. नाम गोग। नागा सारा me- पोडशोपचार सात्विक पूजा अगर नंदन शनिबार पुनमा मल सुमन मग माना। भर भारी परणामृत नीना मन का गाना ।। पुरन माज भोर तारा सागुम शर लगाया। लांग लायी गरियर शामति धानीलम माया ।। स्वंत सिंहासन प्रगम अगागा मा पानि गर डागया। छाँडे लोक अमृत की काया जग में जाला पहाया ।। चौरासी की बंदि दादागा निर अनार यालाया। साधु सबै मिलि प्रारति गान सुत भोग लगाया। कई फीर सब्द टकसारा जम सांजीव सोडाया ॥२२७॥ पूरनमासी आदि जो मंगल गारण । सत गुरु के पद परनि परम पद पाए ।। प्रथम मँदिर, झराइ के ●दन लिपाइए । नृतन वस्त्र अनेक चॅदाव तनाए ।।