सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:कर्बला.djvu/१५८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१५८
कर्बला

हुर---हाँ, शिमर, ही है । ख़ुदा ख़ैर करे, जब यह ख़ुद जियाद के पास गया था, तो मुझे आपकी तजवीज के मंजूर होने में बहुत शक है।

शिमर---( करीब आकर ) अस्सलामअलेक। मैं कल एक ज़रूरत से मकान चला गया। अमीर जियाद को ख़बर हो गयी, उसने मुझे बुलाया, और आपको यह खत दिया।

[ खत साद को देता है। साद ख़त पढ़कर जेब में रख लेता है, और एक लम्बी साँस लेता है। ]

साद---शिमर, मैंने समझा था, तुम सुलह की ख़बर लाते होगे।

शिमर---आपकी समझ की ग़लती थी। आपको मालूम है कि अमीर ज़ियाद एक बार फ़ैसला करके फिर उसे नहीं बदलते। आपकी क्या मंशा है?

साद---मजबूरन् हुक्म को तामील करूँगा।

शिमर---तो मैं फौजों को तैयार होने का हुक्म देता हूँ?

साद---जैसा मुनासिब समझो।

[ शिमर फ़ौज़ की तरफ़ चला जाता है। ]

हुर---खुदा सब कुछ करे, इन्सान का बातिन स्याह न बनाये।

साद---यह सब इन्हीं हजरत की कारगुजारी है। ज़ियाद मेरी तरफ़ से कभी इतने बदग़ुमान न थे।

हुर---मुझे तो फ़र्ज़न्दे-रसूल से लड़ने के ख़याल ही से वहशत होती है।

साद---हुर, तुम सच कहते हो। मुझे यकीन है कि उनसे जो लड़ेगा, उसकी जगह जहन्नुम में है। मगर मजबूर हूँ, 'रे' की परवा न करूँ, तो भी घर की तरफ से बेफ़िक्र तो नहीं हो सकता। अफ़सोस, मैं हविस के हाथों तबाह हुअा। काश मेरा दिल इतना मजबूत होता कि 'रे' की निज़ामत पर लट्टू न हो जाता, तो आज मैं फ़र्ज़न्दे-रसूल के मुक़ाबले पर न खड़ा होता । हुर, क्या इस जंग के बाद किसी तरह मग़फ़ हो सकती है?

हुर---फ़र्ज़न्दे रसूल के खून का दाग़ कैसे धुलेगा?

साद---हुर, मैं इतने रोजे रक्खूँगा कि मेरा जिस्म घुल जाय, इतनी नमाज़े अदा करूँगा कि आज तक किसी ने न की होंगी। रै' की सारी आम-