हुर---हाँ, शिमर, ही है । ख़ुदा ख़ैर करे, जब यह ख़ुद जियाद के पास गया था, तो मुझे आपकी तजवीज के मंजूर होने में बहुत शक है।
शिमर---( करीब आकर ) अस्सलामअलेक। मैं कल एक ज़रूरत से मकान चला गया। अमीर जियाद को ख़बर हो गयी, उसने मुझे बुलाया, और आपको यह खत दिया।
[ खत साद को देता है। साद ख़त पढ़कर जेब में रख लेता है, और एक लम्बी साँस लेता है। ]
साद---शिमर, मैंने समझा था, तुम सुलह की ख़बर लाते होगे।
शिमर---आपकी समझ की ग़लती थी। आपको मालूम है कि अमीर ज़ियाद एक बार फ़ैसला करके फिर उसे नहीं बदलते। आपकी क्या मंशा है?
साद---मजबूरन् हुक्म को तामील करूँगा।
शिमर---तो मैं फौजों को तैयार होने का हुक्म देता हूँ?
साद---जैसा मुनासिब समझो।
[ शिमर फ़ौज़ की तरफ़ चला जाता है। ]
हुर---खुदा सब कुछ करे, इन्सान का बातिन स्याह न बनाये।
साद---यह सब इन्हीं हजरत की कारगुजारी है। ज़ियाद मेरी तरफ़ से कभी इतने बदग़ुमान न थे।
हुर---मुझे तो फ़र्ज़न्दे-रसूल से लड़ने के ख़याल ही से वहशत होती है।
साद---हुर, तुम सच कहते हो। मुझे यकीन है कि उनसे जो लड़ेगा, उसकी जगह जहन्नुम में है। मगर मजबूर हूँ, 'रे' की परवा न करूँ, तो भी घर की तरफ से बेफ़िक्र तो नहीं हो सकता। अफ़सोस, मैं हविस के हाथों तबाह हुअा। काश मेरा दिल इतना मजबूत होता कि 'रे' की निज़ामत पर लट्टू न हो जाता, तो आज मैं फ़र्ज़न्दे-रसूल के मुक़ाबले पर न खड़ा होता । हुर, क्या इस जंग के बाद किसी तरह मग़फ़ हो सकती है?
हुर---फ़र्ज़न्दे रसूल के खून का दाग़ कैसे धुलेगा?
साद---हुर, मैं इतने रोजे रक्खूँगा कि मेरा जिस्म घुल जाय, इतनी नमाज़े अदा करूँगा कि आज तक किसी ने न की होंगी। रै' की सारी आम-