का॰---इस पर क्या इलज़ाम है?
ए॰ सि॰---हुज़ूर, जब हम लोग उन मुलज़िमों को गिरफ्तार कर रहे थे, जो अभी गये हैं, तो इसने ख़लीफ़ा को जालिम कहा था।
क़ा॰---गवाह?
ए॰ औरत---हुज़ूर, खुदा इसका मुँह न दिखाए, बड़ी बदज़बान है।
क़ा॰---इसका मकान ज़ब्त कर लो, और इसके सर के बाल नोच लो।
मु॰ औ॰---खुदाबंद, मेरी आँखें फूट जायँ, जो मैंने किसी को कुछ कहा हो। यह औरत मेरी सौत है। इसने डाह से मुझे फँसा दिया है। खुदा गवाह है कि मैं बेक़सूर हूँ।
क़ा॰---इसे फौरन् ले जाओ।
एक युवक---( रोता हुआ ) या काजी, मेरी मा पर इतना ज़ुल्म न कीजिए। आप भी तो किसी मा के बच्चे हैं। अगर कोई आपकी मा के बाल नोचवाता, तो आपके दिल पर क्या गुजरती?
क़ा॰---इस मलऊन को पकड़कर दो सौ दुर्रे लगाओ।
[ कई सिपाही आदमियों के गोल को बाँधे हुए लाते हैं। ]
क़ा॰---इन्होंने खुदा के किस हुक्म को तोड़ा है?
ए॰ सि॰---हुज़ूर, ये सब आदमी सामनेवाली मस्जिद में खड़े होकर रो रहे थे।
क़ा॰---रोना कुफ्र है। इन सबों की आँखें फोड़ डाली जायँ।
[ सैकड़ों आदमी मस्जिद की तरफ़ से तलवारें और माले लिये दौड़े आते हैं, और अदालत को घेर लेते हैं। ]
सुलेमान---क़त्ल कर दो इस मरदूद मक्कार को, जो अदालत के मसनद पर बैठा हुअा अदालत का खून कर रहा है।
मूसा---नहीं, पकड़ लो। इसे ज़िन्दा जलायेंगे।
[ कई आदमी क़ाज़ी पर टूट पड़ते हैं। ]
क़ा॰---शरा के मुताबिक़ मुसलमान पर मुसलमान का खून हराम है।
सुले॰---तू मुसलमान नहीं है! इन सिपाहियों में से एक भी न जाने पाये।