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कलम, तलवार और त्याग
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के आधार हैं। जिले का माल अफसर 'आलिम गुजार' कहलाता था, जिसे अच्छी-बुरी फसल का ध्यान रखते हुए मालगुजारी वसूल करने के संबन्ध में विस्तृत अधिकार प्राप्त थे, और सूबे का गवर्नर सेनापति होता था।

गणना-शास्त्र (Stats tics) की इस जमाने में इतनी उन्नति हुई कि भारत सरकार ने उसका एक स्वतन्त्र विभाग ही बना दिया है। और सब सरकारी दफ्तरों का बड़ा समय नक़शे तैयार करने में जाता है। और जो नतीजे उनसे निकलते हैं, उनसे निरीक्षण तथा प्रबन्ध में बड़ी सहायता मिलती है। पर इसकी नींव भी हिन्दुस्तान में अकबर ही ने डाली थी, और मुफस्सिल के अफसरान जो दैनिक, साप्ताहिक और मासिक रिपोर्ट भेजा करते थे, उनसे केन्द्रीय अधिकारियों को निगरानी का अच्छा मौका मिलता था।

अत्ब गमनागमन की सुविधा की दृष्टि से अकबर के प्रबन्ध को देखा जाय तो दिखाई देगा कि यात्रा-कर तो उसने एक दम उठा दिया था, और सुप्रबन्ध के कारण हर आदमी निर्भय एक से दूसरी जगह आ जा सकता था। इसके सिवा आरंभिक राज्य-काल मैं मुईनुद्दीन चिश्ती के प्रति अपनी सविशेष श्रद्धा के कारण आगरे से अजमेर शरीफ तक एक पक्की सड़क बनवा दी थी जिस पर कोस-कोस भर पर छोटे छोटे मीनार और कुएँ और हर मंजिल पर सराय थी जिनमें मुसाफिरों को पका खाना मिलता था। सन् जुल्स के ४२वें साल में लोककल्याण की दृष्टि से इस हुक्म को आय कर दिया, पर जान पड़ता है कि अकबर को इस योजना को पूरी कराने का मौक़ा नहीं मिला। सन् ५१ में अकाल पड़ा और अकबरनामे को देखने से मालूम होता है कि अकबर ने गरीब मुहताजों की सहायता का विशेष प्रबन्ध किया था, और इस काम के लिए विशेष कर्मचारी भी नियुक्त किये थे। इससे प्रकट है कि उस अभिनन्दनीय व्यवस्था का प्रवर्तक भी अकबर ही था जिसकी बिृटिश सरकार के शासन में, अनेक अकाल कमीशनों की बदौलत बहुत कुछ उन्नति हुई है। हमने केवल उन बड़े-