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पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१३६

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हितहरिवंश द गो हितहरिवंश (स्वामी हितहरिवंश का जन्म वैशाख बदी ११

  • सं० १५५६ में देवबंद (सहारनपुर) में हुआ ।

इनके पिता का नाम हरिराम और माता का

      • तारावती था, इनकी स्त्री का नाम रुक्मिणी था ।

हित हरिवंश जी राधावल्लभ संप्रदाय के संस्थापक थे । ये संस्कृत और हिन्दी के अच्छे कवि थे । इनकी कविता का मुख्य लक्ष्य भक्तिथा । हिन्दी में इन्होंने ८४ पद कहे हैं। उनमें से कुछ चुने हुये पद हम नीचे उद्धृत करते हैं:- श्याम धनी । कनक कज बदनी ॥ ग्रसत फनी ॥ सीमंत उनी । कज्जल रेख अनी ॥ ब्रज नव तरुणि कदम्ब मुकुट मणि श्यामा आजु बनी ॥ नख सिखल अँग अंग माधुरी मोहे यों राजत कवरी गूँथित कच चिकुर चन्द्रिकनि बीच अरघ विधु मानहुँ सौभग रस सिर स्त्रवत पनारी पिय भृकुटि काम कोदंड नैन तरल तिलक ताटंक गंड पर दसन कुन्द सरसाधर पल्लव चिबुक मध्य अति चारु सहज सखि पीतम प्रान रतन संपुट कुच सर नासा जलज मनी । पीतम मन समनी ॥ साँवल विन्दु कनी । कंचुकि कसित तनी ॥ भुज मृनाल बल हरत वलय जुत श्याम सीस तरु मनु मिडवारी रची नाभि गंभीर मीन कुश कटि पृथु नितंब परस सरस स्रवनी । रुचिर रखनी ॥ मोहन मन खेलन कौ हृदिनी । किकिन व्रत कदलि खंभ जघनी ॥ पीतम उर अवनी । बिहरत बर करनी ॥ पद अंबुज जावक युत भूषन नव नव भाय विलोम भामरभ