पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/२५

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कैसे होता है? विचार करने से इसके ये कारण जान पड़ते हैं—स्थान, जल वायु और सभ्यता का प्रभाव और उच्चारण का भेद। बहुत से शब्द जो एक देश के लोग बोल सकते हैं, दूसरे देश के लोग नहीं बोल सकते। शीत प्रधान देशों में ऐसे शब्दों का बहुत प्रयोग होता है, जिनसे भुख को अधिक खोलना न पड़े; जैसे अंग्रेजी भाषा के अधिकांश शब्द। उष्ण प्रधान देशों में ऐसे शब्द अधिक बोले जाते हैं जिनसे मुख का अधिक भाग खोलना पड़ता है; जैसे भारतीय भाषाओं के शब्द। एक ही देश में भी भिन्न भिन्न जलवायु के कारण एकही शब्द के उच्चारण में कभी कभी बड़ा अंतर पाया जाता है। मरुस्थलों के निवासी कंठ से बोले जाने वाले शब्दों का अधिक प्रयोग करते हैं।

विद्वानों का अनुभव है कि सृष्टि के आरम्भ काल में सब मनुष्य एकही स्थान—मध्य एशिया में रहते थे और उस समय उनकी भाषा एक थी। जब जीविका की खोज में या अन्य किसी कारण से वे भिन्न भिन्न देशों में जा बसे, तब उन देशों के जलवायु की भिन्नता के प्रभाव से उनकी आदिम एक भाषा के उच्चारण में अंतर पड़ता गया। नवीन देश में आकर नवीन वस्तुओं के लिये और स्थिति के अनुसार नवीन प्रारम्भ किये हुये कार्यों के लिये उन्हें नवीन शब्दों की कल्पना करनी पड़ी, जिनसे उनकी आदिम भाषा को नवीन शब्दों से अलंकृत नवीन रूप धारण करना पड़ा। परन्तु जब सब मनुष्य साथ ही रहते थे और उनकी भाषा भी एक थी, उस समय बोल चाल में जो शब्द प्रचलित थे, उनमें से अधिकांश शब्द नवीन देश को नवीन भाषा में थोड़े परिवर्तन के साथ ज्यों के त्यों रह गये। यहाँ हम भिन्न