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भिन्न भाषाओं के कुछ समानार्थ शब्दों का संग्रह कर के अपने कथन को खुलासा किये देते हैं:—
संस्कृत | मीडी | यूनानी | लैटिन | अंगरेज़ी | फ़ारसी | हिन्दी |
पितृ | पतर | पाटेर | पेटर | फ़ादर | पिदर | पिता |
मातृ | मतर | माटेर | मेटर | मदर | मादर | माता |
भ्रातृ | ब्रतर | फ्राटेर | फ्रेटर | ब्रदर | ब्रादर | भ्राता |
नाम | नाम | ओनोमा | नामेन | नेम | नाम | नाम |
अस्मि | अह्नि | ऐमी | सम | ऐम | अम | ह्मूम |
इत्यादि इन शब्दों की समानता ही इस बात का प्रमाण है कि हम सब के पूर्वज कभी एक भाषा बोलते थे, आदिम स्थान से, जहाँ पर सब साथ ही साथ रहते थे, जो लोग पश्चिम को गये, उनसे ग्रीक, लैटिन, अंग्रेज़ी आदि भाषा बोलने वाली जातियों को उत्पत्ति हुई और जो लोग पूर्व को आये उनके दो भाग हो गये, एक भाग फारस को गया और दूसरा काबुल होता हुआ भारतवर्ष पहुँचा। पहले दल ने ईरान में मीडी भाषा के द्वारा फ़ारसी भाषा की सृष्टि की, ओर दूसरे दल ने संस्कृत का प्रचार किया। जिससे प्राकृत का जन्म हुआ और फिर प्राकृत के द्वारा संस्कृत से हिन्दी आदि भाषाएँ निकलीं।
अब हम यह दिखलाना चाहते हैं कि उच्चारण भेद से भाषाओं में भिन्नता कैसे हो जाती है। प्रत्येक भाषा का विद्वान् और ग्रामीण मनुष्य भिन्न भिन्न प्रकार से बोलते हैं। विद्वान् लोग शब्दों का शुद्ध उच्चारण करते हैं, ग्रामीण लोग उसे अपनी इच्छानुसार सुगम बना लेते हैं। इससे किसी प्रधान भाषा की, बिगड़ते बिगड़ते कई नई बोलियाँ बन जाती हैं। यहाँ हम कुछ ऐसे शब्द उपस्थित