पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/३१

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( ३० ) मिलता है, और इसी से इंडिया शब्द की उत्पति हुई जान पड़ती है। उच्चारण-भेद से सिंधु का किसी ने हिन्द बना "लिया, किसी ने इंडस । मेरी राय में अब इस बात में संदेह नहीं रह जाता कि हमारे देश का नाम हिन्द और हमारा नाम हिन्दू इस देश में मुसलमानों के आने से बहुत पहले ही पड़ चुका था । मुसलमानों ने हमारा यह नाम नहीँ रक्खा । अब प्रश्न यह है कि इस शब्द का उल्लेख हमारे संस्कृत ग्रन्थों में क्यों नहीं मिलता। मेरी समझ में इसका कारण यही जान पड़ता है कि हिन्दू शब्द संस्कृत भाषा का नहीं हैं; और हमने यह नाम स्वयं नहीं रक्खा है बल्कि विदेशी हमें इस नाम से पुकारते थे। जैसे अमेरिका यूरोप अदि देशों के लोग हमें इंडियन नाम से पुकारते हैं, परन्तु हम लोग अपनी पुस्तकों में अपने को हिन्दू ही लिखते हैं, इंडियन नहीं लिखते । अब प्रश्न यह है कि विदेशियों का रक्खा हुआ "हिन्दू" नाम हमने स्वीकार क्यों कर लिया ? इसका उत्तर यही है कि पूर्व काल में भारत और ईरान से धनिष्ठ सम्बन्ध था, दोनों देशों की भाषा में बहुत कुछ समानता थी, दोनों देशों के रीति रस्म में बहुत कुछ एकता थी, पुराण प्रन्थों में दोनों देशों में वैवाहिक सम्बन्ध तक की चर्चा पाई जाती है । अतएव नित्य के संसर्ग से हमारे लिये उनके रक्खे हुये हिन्दू नाम को पहले हमने कौतूहल वश स्वीकार किया, फिर धीरे धीरे इस नाम ने हमारे उर्वर मस्तिष्क में अपनी जड़ जमाली । परन्तु हमने संस्कृत ग्रन्थों में अपना प्राचीन नाम ही कायम रक्खा, केवल बोलचाल में हम अपने को हिन्दू कहने लगे ।