पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/३७

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( ३६ ) गंदा हिन्दी गद्य के उदाहरण महाराज पृथ्वीराज के समय के मिलते हैं । यहाँ उस समय के दो एक पत्रों की प्रतिलिपि दी जाती है श्रीहरी एकलिगो जयति श्री श्री चित्रकोट बाई साहब श्री पृथुकुवर बाई का वारण गाम मोई आचारज भाई रुसी केसजीबाँच जो अपन श्री दली सु भाई लंगरी राय जी आआ है जी श्रीदली सु श्री हजूर को बी खास मुका आयो है जो भारो भी पदारवा की सीख- वो हैं नेदलों काका जी बेद है जो कागद वाचत चला आवजो थानेमा आगे जाइगे पड़ेगा थाके वास्ते डाक बेटी है श्री हजूर बी हुक्म बेगीयो है जो थे ताकीद सु आवजो थारे मंदर को व्यात्र कामारथ अवार करोगा दली सु आआ पाछे करोगा और थे सवेरे दन अठे आद्यसो सं० ११४५ चैत सुदी १३ | सही यह विक्रम सं० १२३५ का पत्र है, उस समय जो संवत् प्रचलित था वह विक्रम संवत् से ६० वर्ष कम है । ऊपर के 'पत्र का अर्थ यह हैं - श्री हरि एकलिंगजी की जय | मोई ग्राम निवासी आचार्य भाई ऋषीकेश जी को चित्तौर से बाई साहब श्री पृथाकुवरि बाई का संवाद बाँचना । आगे भाई श्री लंगरीराय जी भी दिल्ली से आये हैं और श्री दिल्ली से हुजूर का खास रुक्का भी आया है जिससे मुझको भी दिल्ली जाने की आशा मिली है । काकाजी अस्वस्थ हैं । सो कागज बाँचते चले आओ । तुमको हमसे पहले जाना पड़ेगा। तुम्हारे वास्ते डाक बैठाई गई है। श्री हजूर ( समरसिह ) ने भी आज्ञा दी है। सो