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पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/४००

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विश्वनाथ सिंह
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१९११ तक राज करते रहे। ये अच्छे कवि थे और सुकवियों का अच्छा सतकार भी करते थे। इन्होंने निम्नलिखित ग्रन्थों की रचना की है:—

अष्टयाम का आन्हिक, आनन्द रघुनन्दन नाटक, उत्तम काव्य प्रकाश, गीता रघुनन्दन शतिका, रामायण, गीता रघुनन्दन प्रमाणिक, सर्वसंग्रह, कबीर के बीजक की टीका, विनय पत्रिका की टीका, रामचन्द्र की सवारी, भजन, पदार्थ, धनु विद्या, परानीय तत्व प्रकाश, आनन्द रामायण, परम धर्म निर्णय, शांति शप्तक, वेदान्त पंचक शतिका, गीतावली पूर्वार्द्ध, ध्रुवाष्टक, उत्तम नीति चन्द्रिका, अबाध नीति, पाखंड खंडिनी, आदि मंगल, बसन्त चौंतीसी, चौरासी रमैनी, ककहरा, शब्द, विश्व भोजन प्रसाद, परमतत्व, संगीत रघुनन्दन, गीता रघुनन्दन, तत्वमस्य सिद्धान्त भाषा, ध्यान मंजरी, विश्वनाथ प्रकाश। संस्कृत में—राधावल्लभी भाष्य, सर्व सिद्धान्त, आनन्द रघुनन्दन (दूसरा), दीक्षा निर्णय, भुक्ति मुक्ति सदानन्द संदोह, रामचन्द्रान्हिक सतिलक, राम परत्व, धनुर्विद्या, संगीत रघुनन्दन, (दूसरा)।

जो बिन कामहि चाकर राखत ऐन अनेक वृथा बनवावै।
आमद ते अधिको करै ख़र्च रिनै करि ब्यौहरै व्याज बढ़ावै॥
बूझत लेखा नहीं कहुऐ नहिं नीति की रीति प्रजानि चलावै।
भाखत हैं बिसुनाथ ध्रुवै घहि भूपति के घर दारिद आवै॥१॥
निश्चय धर्म विचार भयो दवि भाइन भृत्यनि नाहिं चलावै।
मंत्रिय आदि सुलच्छन हीन औ आलसी होय सलाह बतावै॥
मानि सँकोच करै व्यवहार वृथाही इनाम की रीति बढ़ावै।
भाखत हैं बिसुनाथ ध्रुवै वह भूपति ना कबहूँ कल पावै॥२॥